बच्चों की सेहत के लिए कितने सुरक्षित हैं अंधेरे में चमकने वाले खिलौने? (Image Source: AI-Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बचपन में दीवारों पर चिपकाए जाने वाले वो हरे-हरे चमकते स्टार्स आज भी कई लोगों की यादों में बसे हैं। रोशनी बंद होते ही उनका हल्का-सा ग्लो पूरे कमरे को जादुई बना देता था। आज बाजार में ऐसे अनगिनत फ्लोरोसेंट खिलौने, कपड़े, पेंट और डेकोरेशन आइटम्स मिलते हैं, जो अंधेरे में चमककर बच्चों और बड़ों दोनों को आकर्षित करते हैं, लेकिन मजेदार के साथ-साथ क्या ये चीजें वाकई उतनी सुरक्षित भी हैं, जितनी दिखती हैं? आइए, इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
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\“ग्लो इन द डार्क\“ चीजें आखिर चमकती कैसे हैं?
कई खनिज स्वाभाविक रूप से फॉस्फोरसेंस करते हैं- यानी रोशनी पड़ने के बाद कुछ देर तक अंधेरे में हल्की चमक छोड़ते हैं। बता दें, खिलौनों और स्टिकर्स में आम तौर पर दो तरह के पदार्थ इस्तेमाल होते हैं:
- कॉपर से ट्रीट किया हुआ जिंक सल्फाइड
- यूरोपियम मिला स्ट्रॉन्शियम एल्यूमिनेट
इन पर जब लाइट पड़ती है, तो इनके इलेक्ट्रॉन ऊर्जा लेकर ऊंची अवस्था में चले जाते हैं। थोड़ी देर बाद जब वे वापस अपनी पुरानी अवस्था में लौटते हैं, तो जमा हुई ऊर्जा को रोशनी के रूप में बाहर छोड़ते हैं। इसी प्रक्रिया को फोटोल्यूमिनेसेंस कहा जाता है।
कितनी देर रहता है ग्लो?
सभी ग्लो इन द डार्क चीजें एक समान नहीं होतीं। उदाहरण के लिए:
जिंक सल्फाइड वाले क्लासिक स्टार्स
लगभग 20–30 मिनट तक अच्छी तरह चमकते हैं, फिर धीरे-धीरे फीके पड़ने लगते हैं।
स्ट्रॉन्शियम एल्यूमिनेट बेस्ड प्रोडक्ट
ये 8–10 घंटे तक हल्की रोशनी बनाए रख सकते हैं, इसलिए इन्हें लॉन्ग-आफ्टरग्लो मैटीरियल कहा जाता है।
इसके अलावा हमारी आंखों का डार्क एडजस्टमेंट भी असर डालता है। पूरी तरह अंधेरे कमरे में वही हल्की ग्लो भी ज्यादा तेज और साफ दिखाई देता है, जबकि रोशनी वाले माहौल में वही चमक फीकी पड़ जाती है।
कितने सुरक्षित हैं ऐसे खिलौने?
आम इस्तेमाल के दौरान- जैसे इन्हें पहनना, छूना या कमरे में सजाने से खतरा बहुत कम माना जाता है, लेकिन कुछ सावधानियां अपनाना बेहद जरूरी हैं:
- इन्हें चबाना, निगलना या मुंह में डालना खतरनाक हो सकता है।
- पेंट या पाउडर फॉर्म छोटे बच्चों को खुद से लगाने न दिया जाए।
- अगर दीवार पर पेंट किया गया है, तो उसके पूरी तरह सूखने तक कमरा हवादार रखें और खिड़कियां खुली रहने दें।
इन प्रोडक्ट्स में मौजूद केमिकल सामान्य संपर्क में हानिकारक नहीं होते, लेकिन सीधे शरीर में जाने से जोखिम बढ़ जाता है।
फ्लोरोसेंट खिलौने और ग्लो इन द डार्क चीजें सुरक्षित भी हैं और मजेदार भी। बस शर्त यह है कि उनका इस्तेमाल जिम्मेदारी से किया जाए। इन्हें कमरे की शोभा बढ़ाने, बच्चों के रूम को सजाने या क्राफ्ट प्रोजेक्ट्स में बेझिझक इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन छोटे बच्चों को इन्हें चबाने या पेंट से खेलने से जरूर रोका जाना चाहिए।
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