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बिहार में दिव्यांग बच्चों के लिए खुलेंगे विशेष विद्यालय, सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत मिलेगी सहायता राशि

LHC0088 2025-12-4 01:10:13 views 842

  



जागरण संवाददाता, पटना। दिव्यांगों की प्रतिभा, आत्मविश्वास व समावेशी समाज के संकल्प के साथ सुबह से आयोजित कार्यक्रम शाम तक चलते रही। नृत्य और गायन की उम्दा प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध किया। अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन बुधवार को ज्ञान भवन में हुआ। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

समापन पर समाज कल्याण विभाग की सचिव बंदना प्रेयषी ने दिव्यांगों में जोश भरते हुए कहा कि आप सभी प्रेरणा के स्त्रोत हैं। सभी के अंदर कोई न कोई प्रतिभा छिपी है। इसे समय के साथ निखारने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष स्कूल खोले जाएंगे। सामान्य बच्चों के लिए संचालित स्कूलों से इतर इन स्कूलों में दिव्यांग बच्चों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विशेष तरीके से तैयार बाथरूम समेत अन्य सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। इससे वे विद्यालयों में बिना किसी व्यावधान के 10-12वीं तक पढ़ाई पूरी कर सके। 10वीं और 12वीं पास होने वाले दिव्यांग बच्चों को विशेष तरह के स्कूटर देने की योजना पर विचार किया जा रहा है। इससे संबंधित प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट में पेश किया जाएगा। यहां से सहमति मिलने के बाद इस योजना को लागू कर दिया जाएगा।

सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा पास करने वालों को एक लाख और बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा उतीर्ण करने वालों को 50 हजार रुपये दिए जाएंगे। राज्य में जल्द ही एक दिव्यांग महोत्सव का आयोजन किया जायेगा, जिसमें इनसे जुड़ी तमाम योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। दिव्यांगजनों के स्तर से बनाए गए सामग्री का प्रदर्शन और बिक्री की गई। दिव्यांगों को सहायक उपकरण भी वितरित किए गए।

डॉ. शिवाजी कुमार (पूर्व राज्य आयुक्त दिव्यांगजन) ने कहा कि पारा गेम के क्षेत्र में दिव्यांग खिलाड़ियों का प्रदर्शन देश दुनिया में हो रहा है। इनकी प्रतिभा को पहचान मिल रही है। नौ हजार से अधिक एथलिट खिलाड़ी हैं। खेल के अलावा कला, संगीत आदि क्षेत्रों में दिव्यांगों को आगे बढ़ाने में सरकार मदद करेगी। मौके पर दिव्यांग खिलाड़ी अन्नू कुमारी (विश्वकप विजेता दिव्यांग भारतीय क्रिकेटर) और मिथिला पेंटिंग की कलाकार ज्योति सिन्हा को सम्मानित किया गया। मौके पर निदेशक योगेश कुमार, विशेष अधिकारी स्पर्श गुप्ता, अधिकारी अंजलि शर्मा मौजूद थे।
गीत व नृत्य की प्रस्तुतियों ने जीता दिल:

कार्यक्रम के समापन पर ज्ञान भवन सभागार में गीत व नृत्य की प्रस्तुतियों ने सभी का दिल जीता। इंडियन आयडल फेम मेनुका पोडेल की प्रस्तुति ने सभी को आनंदित किया। मेनुका ने अपनी सुरीली आवाज में भगवान गणेश की वंदना करने के बाद भक्ति गीत ओ पालन हारे, मुझे रंग दो लाल, यशोमति मैया से पूछे नंदलाल.. गीतों की प्रस्तुतियों पर लोगों ने तालियां बजा कर कलाकारों का मनोबल बढ़ाया। कार्यक्रम समापन के पूर्व अनहद और नवोत्थान ग्रुप के कलाकारों ने व्हील चेयर नृत्य की प्रस्तुति से सभी का ध्यान आकर्षित किया। नृत्य का कोरियोग्राफी चेतन उपाध्याय ने किया।

व्हील चेयर पर बैठे दिव्यांगों ने रंग-बिरंगे कपड़े पहनने के साथ भगवान गणेश की प्रतिकृति बयां कर तालियां बटोरी। कलाकारों ने भगवान गणेश, शिव आदि के स्वरूपों को नृत्य के जरिए पेश कर कार्यक्रम को यादागार बनाया। शिवम, मो. आलिद, मनोज, निखिल आदि की प्रस्तुति को सभी ने सराहा। समारोह के दौरान दिव्यांग खिलाड़ी अनु, मिथिला पेंटिंग की कलाकार ज्योति सिन्हा समेत अन्य को समाज कल्याण विभाग की ओर से पुरस्कृत किया गया। मौके पर विभिन्न दिव्यांगजन संगठनों के प्रतिनिधि के अलावा कई अधिकारी मौजूद रहे।
हौसले से दिव्यांगता काे मात

निशक्तता को इतना सशक्त कर लिया आज दूसरों के लिए मिसाल बन गए। दिव्यांग ही नहीं आम इंसान भी इनसे प्रेरणा लेकर जीवन की हर कठनाई को पार कर सकते हैं। कार्यक्रम में मस्कुलर डिस्ट्राफी बीमारी से ग्रसित ज्योति कुमारी 14 साल तक सही सलामत थी। मैट्रिक करने के बाद वे बीमारी से ग्रसित हुईं। इसके बाद इनका हाथ पांव काम नहीं करता है। इसके बावजूद ज्योति ने इंटर, स्नातक, पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद ललित नारायण मिथिला विवि से पीएचडी कर रही हैं। पढ़ाई के साथ-साथ मिथिला पेंटिंग की प्रति इनकी दिवानगी ने इन्हें राज्य पुरस्कार समेत कई पुरस्कार दिलाए। इनकी प्रतिभा को देखते हुए अद्वितीय दक्षता पर 2024 में गणतंत्र दिवस पर केंद्र सरकार ने विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जहां राष्ट्रपति ने उन्हें सम्मानित किया।

वे कहती हैं हमें आगे बढ़ाने में माता-पिता के साथ कई गुरुओं का साथ मिला। बक्सर की रहने वाली दिव्यांग खिलाड़ी अन्नू कुमारी (विश्वकप विजेता दिव्यांग भारतीय क्रिकेटर) ने बताया कि इंटरनेशनल ब्लाइंड वीमेन टी 20 में नेपाल और भारत के बीच मैच में बेहतर प्रदर्शन करने को लेकर पुरस्कृत किया गया था। जन्म से ही आंखों में परेशानी थी। इसके बावजूद माता-पिता का साथ मिलने के साथ अपनी कमजोरी को ताकत बना आगे बढ़ते रही। मैट्रिक की परीक्षा कुम्हरार स्थित अंतर ज्योति विद्यालय से की। सरकार से अनुरोध है कि स्पोर्ट्स कोटे से सभी दिव्यांग खिलाड़ियों को नौकरी मिले। सभी का सहयोग मिलता रहेगा तो आगे भी काम करते रहेंगे।
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