जागरण संवाददाता, महराजगंज। पादरी बनकर ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार करने वाला जितेंद्र साहनी खुद तो पिछड़ी जाति के आरक्षण का लाभ ले ही रहा था वह अनुसूचित जाति के लोगों को भी मतांतरण के बावजूद आरक्षण का लाभ मिलने का प्रलोभन दे रहा था। मतांतरण का संगठित गिरोह चलाने वाले जितेंद्र के निशाने पर महराजगंज के साथ ही नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र के लोग भी थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दिसंबर 2023 में उसके विरुद्ध मतांतरण कराने और धार्मिक वैमनस्यता फैलाने का मुकदमा भी दर्ज हुआ था। हाई कोर्ट में याचिका खारिज होने की खबर जैसे पहुंची उससे जुड़े लोगों में खलबली मच गई। सिंदुरिया के मथानिया गांव के चौकीदार बाबूराम यादव ने मथनिया गांव के जितेंद्र के विरुद्ध थाना सिंदुरिया में मुकदमा कराया था। आरोप था कि जितेंद्र पिछले डेढ़ वर्ष से बलुवहीधूस चौराहे पर पंडाल लगाकर ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहा था।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं का अपमान करने वाले देता था भाषण
वह अपने धर्म को श्रेष्ठ बताकर अन्य धर्मों को गलत ठहराने और हिंदू धार्मिक मान्यताओं का अपमान करने वाले भाषण देता था। इससे गांव में तनाव और वैमनस्यता की स्थिति उत्पन्न हो रही थी। बाबूराम ने यह भी बताया था कि 10 दिसंबर 2023 को दोपहर लगभग तीन बजे प्रार्थना सभा की आड़ में जितेंद्र द्वारा दिया गया भाषण लोगों की धार्मिक भावना को आहत कर रहा था।
इसी आधार पर उसके खिलाफ आइपीसी की धारा 153 ए और 295 ए के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया था। पुलिस की जांच रिपोर्ट में भी सामने आया था कि जितेंद्र ईसाई पादरी के रूप में कार्य करता है, जबकि हाई कोर्ट में उसने स्वयं को हिंदू बताकर लाभ लेने का प्रयास किया।
अब हाई कोर्ट के आदेश के बाद महराजगंज का यह मामला चर्चा में आ गया है। हालांकि वर्ष 2023 में उसके विरुद्ध दर्ज मुकदमे में अपर सत्र न्यायाधीश पवन कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने 12 जनवरी 2024 को सशर्त अग्रिम जमानत भी दे रखी है, जिसमें उसने स्वयं को पिछड़ी जाति का बताते हुए जमानत का लाभ लिया है। |