फिक्की के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अनंत गोयनका। फोटो- सोशल मीडिया
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। इंडिया इंक पूरी तरह से बदला हुआ है। अब उसे दूसरे देशों के साथ होने वाले मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से डर नहीं लगता बल्कि वह इसे एक अवसर के तौर पर देख रहा है। देश के प्रमुख उद्योग चैंबर फिक्की के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अनंत गोयनका कुछ ऐसा ही मानते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वह मानते हैं कि भारत जिन देशों के साथ वर्तमान में एफटीए पर बातचीत कर रहा है या जिनके साथ समझौते लागू हो चुके हैं, वे समझौते पहले के मुकाबले कहीं अधिक व्यापक और भारतीय हितों के अनुकूल हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन समझौतों से भारतीय उद्योग को स्पष्ट लाभ मिलेगा।
एफटीए: भारतीय उद्योग के लिए अवसर
इसके साथ ही वह मानते हैं कि मौजूदा परिवेश में फिक्की जैसे उद्योग चैंबरों को भी देश की इकोनमी में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए और भारत को दुनिया की फैक्ट्री बनाने में सरकार के साथ मिल कर काम करना चाहिए।
गोयनका यह भी मानते हैं कि भारत तेज आर्थिक विकास दर के मुहाने पर खड़ा है। उन्होंने दैनिक जागरण को बताया कि, “दूसरी तिमाही के दौरान 8.2 फीसद की आर्थिक विकास दर बहुत ही उत्साहजनक है। भारतीय अर्थव्यवस्था के सारे आधारभूत तत्व काफी मजबूत दिख रहा है। हमारा राजकोषीय घाटा काफी नियंत्रण में है, महंगाई की दर भी काबू में है।
साथ ही सरकार की तरफ से देश में मांग बढ़ाने के लिए जो सुधारवादी कदम उठाए गए हैं वह काफी असर डालेगा। मौजूदा हालात में जब मैं देखता हूं कि देश की इकोनमी के साथ खराब क्या हो सकता है तो बहुत कुछ नहीं दिखता लेकिन जब यह देखता हूं कि अच्छा क्या हो सकता है तो मुझे कई तथ्य दिखाई देते हैं।
जैसे अमेरिका के साथ किया जाने वाला एफटीए, इसका बहुत ही अच्छा असर होगा, ब्याज दरों में और कमी की संभावना है। मैं विकास दर को लेकर काफी सकारात्मक हूं। सालाना आर्थिक विकास दर सात फीसद से ज्यादा रहेगी।\“ गोयनका ने कहा कि बतौर फिक्की अध्यक्ष वह मैन्यूफैक्चरिंग को लेकर सरकार की नीतियों और उद्योग जगत के बीच सामंजस्य बनाने पर काफी ध्यान देंगे।
आर्थिक विकास दर 7% से अधिक
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वैश्विक प्रतिस्पद्र्धा में भारतीय उद्योग जगत को मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर जिस तरह से ध्यान देना चाहिए था, वैसा नहीं दिया गया है। गोयनका ने कहा कि, “यह फिक्की का एक मुख्य काम होगा ताकि हम हर तरह से भारत के कुल जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की मौजदा हिस्सेदारी 15-16 फीसद से बढ़ा कर 25 फीसद तक कर सकें। उद्देश्य यह रहेगा कि भारत को दुनिया की फैक्ट्री के तौर पर स्थापित किया जा सके। यह निश्चित तौर पर होगा।\“\“
यह पूछे जाने पर कि भारत मैन्यूफैक्चरिंग में एक बड़ी शक्ति क्यों नहीं बन पाया तो गोयनका ने बहुत ही साफगोई से इसके लिए भारतीय उद्योग जगत को जिम्मेदार ठहराया जो वैश्विक सोच को समाहित नहीं कर पाई है। उनका जवाब था कि, “मुझे लगता है कि भारतीय उद्योग जगत की ही कुछ कमी है।
हम निर्यात बाजार के लिए उत्पाद बनाने या मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़ी वैश्विक समस्याओं का समाधान खोजने का काम नहीं कर पाए हैं। भारतीय कंपनियां अभी तक वैश्विक स्तर पर बहुत ज्यादा फोकस नहीं कर रही थी। भारतीय उद्योग जगत को भी व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा। अभी सौ की मांग है तो हम सौ का उत्पादन ही करने पर ध्यान दे रहे हैं जबकि चीन की कंपनियां 300 यूनिट उत्पादन का प्लांट लगाने की सोचेंगे।\“\“
भारत को वैश्विक फैक्ट्री बनाने का लक्ष्य
फिक्की के नये अध्यक्ष ने कई वैश्विक आर्थिक शक्तियों के साथ एफटीए करने की भारत सरकार की कोशिश का पूरा समर्थन किया। पूर्व में जापान, दक्षिण कोरिया और आसियान के साथ एफटीए का भारत को पूरा फायदा नहीं होने के बावजूद उनका मानना है कि अब हालात बदल गये हैं।
गोयनका ने कहा कि,सबसे बड़ा बदलाव यह है कि भारत का एफटीए का ढांचा अब ज्यादा व्यापक है लेकिन साथ ही पूरी दुनिया का स्वरूप भी बदला है। आस्ट्रेलिया, यूएई के साथ जो एफटीए हुआ है उसका सकारात्मक असर भारतीय कारोबार पर दिख रहा है।
हमें उम्मीद है कि यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ होने वाले एफटीए का और ज्यादा सकारात्मक असर भारतीय उद्योग पर होगा। हमें सरकार पर पूरा भरोसा है कि वह राष्ट्रीय हितों के मुद्दों पर कोई समझौता नहीं करेगी और जो भी समझौता होगा वह पूरे देश के लिए सही होगा।- |