deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

कहानी गहनों की: कला, आस्था और 9 ग्रहों का संगम है नवरत्न जूलरी, सदियों पुराना है इनका इतिहास

deltin33 2025-12-1 14:38:40 views 632

  

क्या है नवरत्न जूलरी की कहानी? (Picture Courtesy: Freepik)



लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में जूलरी सिर्फ सजावट नहीं होती, बल्कि परंपराओं, आस्था और संस्कृति का अहम हिस्सा होती है। यहीं वजह है कि आपको भारत में गहनों के कई प्रकार देखने को मिल जाएंगे, जो सदियों से चले आ रहे हैं। इन्हीं में से एक है नवरत्न जूलरी (Navratna Jewellery)। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

एक ऐसी जूलरी जो खूबसूरती के साथ-साथ आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी रखती है। कहानी गहनों की सीरिज में हम इस बार नवरत्न गहनों की बात करने वाले हैं। ये क्यों इतने खास हैं, इन्हें बनाने की शुरुआत कैसे हुई (Navratna Jewellery History) और इन्हें बनाया कैसे जाता है, जैसे कई दिलचस्प सवालों का जवाब हम इस आर्टिकल में जानेंगे। आइए जानें।  

  

(Picture Courtesy: Instagram)
नवरत्न जूलरी क्या होती है?

‘नवरत्न’ शब्द संस्कृत से आया है, जिसका मतलब है नौ रत्न। यह जूलरी नौ खास रत्नों से मिलकर बनती है, जिनमें से हर एक रत्न किसी न किसी ग्रह का प्रतीक होता है। ये रत्न इस प्रकार हैं-

  • माणिक (Ruby)- सूर्य
  • मोती (Pearl)- चंद्रमा
  • हीरा (Diamond)- शुक्र
  • मूंगा (Coral)- मंगल
  • पन्ना (Emerald)- बुध
  • पुखराज (Topaz/Yellow Sapphire)- बृहस्पति
  • नीलम (Blue Sapphire)- शनि
  • गोमेद (Hessonite)- राहु
  • लहसुनिया (Cat’s Eye)- केतु


ऐसा माना जाता है कि जब ये नौ रत्न एक साथ पहने जाते हैं, तो ये व्यक्ति के जीवन में संतुलन, सौभाग्य और सकारात्मकता लाते हैं।

  

(Picture Courtesy: Instagram)
नवरत्न जूलरी का इतिहास

नवरत्न जूलरी की जड़ें बहुत गहरी हैं। इसका उल्लेख वैदिक काल और प्राचीन भारतीय ज्योतिष में मिलता है। उस समय माना जाता था कि अलग-अलग ग्रह मनुष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं और उनके प्रभावों को संतुलित करने के लिए ये नौ रत्न साथ पहनना शुभ होता है।

मुगल काल से लेकर भारत के कई राजघरानों तक, नवरत्न जूलरी हमेशा राजसी शान और शक्ति का प्रतीक रही। सम्राट अकबर, राजा विक्रमादित्य और कई भारतीय राजा अपने नवरत्न आभूषणों को सुरक्षा, समृद्धि और अधिकार के प्रतीक की तरह पहनते थे।

  

(Picture Courtesy: Instagram)
शाही दरबार में भी होते थे नवरत्न

इतिहास में नवरत्न का इस्तेमाल सिर्फ गहनों के लिए नहीं होता था, बल्कि कई राजा अपने दरबार में भी नौ रत्न रखते थे, जिनमें विद्वान, कवि, गायक, सलाहकार आदि शामिल होते थे। इन्हें भी शाही दरबार में नवरत्न कहा जाता है। जैसे- मुगल बादशाह अकबर के दरबार में बीरबल, तानसेन, अबु फजल, फैजी, मान सिंह, टोडर मल, मुल्लाह-दो-पियाजा, अब्दुल रहीम खान-ए-खाना, फकीर अजियाओ-दीन शामिल थे। राजा विक्रम आदित्य के दरबार में भी कवि कालीदास जैसे नवरत्न थे, जो उनके दरबार की शोभा बढ़ाते थे और राज-काग चलाने में उनकी मदद करते थे।

  

(Picture Courtesy: Instagram)
नवरत्न जूलरी कैसे बनाई जाती है?

नवरत्न जूलरी बनाने का काम बेहद कला और विज्ञान का मेल है। हर रत्न का अपना महत्व होता है, जिसे ध्यान में रखते हुए गहने बनाए जाते हैं। साथ ही, कुछ रत्न बहुत कठोर होते हैं, जैसे-हीरा, तो वहीं कुछ काफी कमजोर होते हैं, जैसे-मोती। इसलिए गहने बनाते समय और ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

  • खास रंगों का संगम- नवरत्न जूलरी में लाल, हरा, पीला, नीला और सफेद जैसे कई रंगों का संयोजन होता है, जो इसे बेहद आकर्षक बनाता है।
  • रत्नों की सटीक व्यवस्था- परंपरागत डिजाइन में माणिक को केंद्र में रखा जाता है, क्योंकि यह सूर्य का प्रतीक है। बाकी आठ रत्न इसके चारों ओर संतुलित रूप में लगाए जाते हैं मानो सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा कर रहे हों।
  • रत्नों की कटिंग और सेटिंग- कुछ रत्न कठोर होते हैं (जैसे हीरा, नीलम), तो कुछ बहुत कोमल (जैसे मोती, मूंगा)। इसी वजह से जूलरी कारीगर इन्हें बड़ी सावधानी से सेट करते हैं, ताकि कोई रत्न टूटे या खरोंचे नहीं।
  • धातु का चयन- नवरत्न जूलरी ज्यादातर सोने या चांदी में बनाई जाती है, क्योंकि ये धातुएं रत्नों की एनर्जी को अच्छी तरह कैरी करते हैं।
  (Picture Courtesy: Instagram)
नवरत्न जूलरी का महत्व

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को कम करती है।
  • शरीर और मन को संतुलन और सकारात्मकता देता है।
  • कई धर्मों, जैसे- हिंदू, बौद्ध और जैन में इसे बेहद शुभ माना जाता है।
  • आज के समय में यह सिर्फ ज्योतिष ही नहीं, बल्कि फैशन और स्टाइल का प्रतीक भी बन चुकी है।
  (Picture Courtesy: Instagram)

नवरत्न जूलरी सिर्फ आभूषण नहीं, बल्कि विज्ञान, आध्यात्मिकता, इतिहास और कलात्मकता का एक अनोखा संगम है। चाहे आप इसे ज्योतिषीय लाभों के लिए पहनें या इसकी खूबसूरती से आकर्षित हों, नवरत्न जूलरी आपको हमेशा खास महसूस कराते हैं।
यह भी पढ़ें- कहानी गहनों की: 400 साल पुरानी \“थेवा जूलरी\“, जो 24 कैरेट सोना और कांच का है अद्भुत संगम   
यह भी पढ़ें- कहानी गहनों की: मुगलों के काल से लेकर आज तक कायम है जड़ाऊ जूलरी का जादू, दिलचस्प है इसे बनाने की कला
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments
deltin33

He hasn't introduced himself yet.

710K

Threads

0

Posts

2110K

Credits

administrator

Credits
210217