फाइल फोटो।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। शहर में ठंड लगातार अपने चरम पर पहुंचती जा रही है। गुरुवार को न्यूनतम तापमान लुढ़ककर 10.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस सीजन का अब तक का सबसे कम तापमान है। अधिकतम तापमान भी घटकर 26.6 डिग्री सेल्सियस रह गया। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार आने वाले दिनों में ठंड का यह दौर और तेज होगा।
30 नवंबर से 2 दिसंबर के बीच जिले में आंशिक बादल छाए रहेंगे। इस दौरान दिन के तापमान में 1-2 डिग्री की हल्की बढ़ोतरी संभव है, लेकिन रात की ठंड और अधिक बढ़ेगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार 3 दिसंबर से फिर से तेज शीतलहर के आसार हैं और तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी। सुबह-शाम घना कोहरा और धुंध चलने से दृश्यता प्रभावित हो रही है। वाहनों के हेडलाइट और फॉग लाइट के सहारे ही ड्राइवरों को सफर करना पड़ रहा है। प्रशासन ने लोगों को फॉग के दौरान वाहन चलाते समय गति धीमी रखने और सावधानी बरतने की सलाह दी है।
शहर में अलाव की बढ़ी जरूरत
कनकनी बढ़ने से लोगों ने अलाव का सहारा लेना शुरू कर दिया है। सड़क किनारे, चौक-चौराहों और बाजार क्षेत्रों में लोग आग तापते दिख रहे हैं। नगर निगम द्वारा भी कई स्थानों पर सार्वजनिक अलाव की व्यवस्था की जा रही है ताकि बेघर और गरीब वर्ग को राहत मिल सके।
ठंड और मौसम के अचानक बदलाव के बीच शहर के अस्पतालों में एलर्जी से पीड़ित मरीजों की संख्या में 25-30% तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल से लेकर निजी नर्सिंग होम तक मरीजों की भीड़ बढ़ी है।
शहर में जारी शीतलहर से सबसे ज्यादा बच्चे, बुजुर्ग और अस्थमा के मरीज प्रभावित हो रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ठंडी हवा, धूलकण, प्रदूषण और मौसम परिवर्तन के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। ऐसे में एलर्जी, खांसी, जुकाम, त्वचा रोग और सांस की तकलीफ तेजी से बढ़ जाती है।
बच्चों में खांसी-जुकाम और स्किन एलर्जी बढ़ी
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. केके चौधरी के अनुसार सुबह स्कूल जाने वाले बच्चों में खांसी, जुकाम, गले में खराश, आंखों में पानी, स्किन एलर्जी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। डॉ. चौधरी ने बताया कि छोटे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, इसलिए वे तापमान में अचानक गिरावट को आसानी से सहन नहीं कर पाते।
बुजुर्ग और अस्थमा पीड़ित इस मौसम में सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। ठंडी हवा में मौजूद डस्ट पार्टिकल्स नाक और फेफड़ों में जलन पैदा करते हैं, जिससे सांस फूलना, खांसी बढ़ना, एलर्जिक अस्थमा की समस्या बढ़ जाती है।
सुबह और देर शाम की नमी से बुजुर्गों की दिक्कत और बढ़ जाती है। डॉक्टरों ने बुजुर्गों को सलाह दी है कि वे ठंड के दौरान सुबह-सुबह बाहर निकलने से परहेज करें और दवाइयां नियमित रूप से लेते रहें।
सर्दी में हवा की गति कम होने के कारण धूल और प्रदूषण नीचे बैठ जाता है। यही धूल एलर्जी को तेजी से बढ़ाती है। साथ ही घरों में बढ़ी नमी के कारण फंगल एलर्जी का खतरा बढ़ जाता है।
जानें कैसे रखें खुद को सुरक्षित
- सुबह-शाम गर्म कपड़े पहनकर बाहर निकलें
- कंबल व रजाई को धूप में सुखाएं
- धूल जमा न होने दें
- पहले से एलर्जी वाले लोग मास्क जरूर पहनें
- दिनभर पर्याप्त पानी पिएं
- धुंध के समय वाहन धीरे चलाएं
बच्चों को गर्म कपड़े पहनाकर ही स्कूल भेजे। सुबह के समय ठंड अधिक होती है, इसलिए बच्चों के लिए हेड कैप, ग्लव्स और फुल स्लीव स्वेटर जरूरी हैं। जिन बच्चों को दमा या सांस की समस्या है, उनके इनहेलर हमेशा साथ रखने की सलाह दी गई है। -
डा. शुभोजित बनर्जी, शिशु रोग विशेषज्ञ
ठंड अभी और बढ़ेगी, ऐसे में सावधानी ही सबसे सुरक्षित तरीका है। समय रहते देखभाल की जाए तो एलर्जी से बचाव संभव है। अस्पतालों में एलर्जी, सर्दी-खांसी और वायरल बुखार के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सावधानी जरूरी है। -
डा. केके चौधरी, शिशु रोग विशेषज्ञ |