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Gita Updesh: व्यक्ति को नर्क के द्वार तक ले जाती हैं ये 3 बुराइयां, गीता के इस श्लोक में छिपा है रहस्य

Chikheang 2025-11-28 00:09:14 views 561

  

Gita Updesh in hindi (AI Generated Image)



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया गीता का ज्ञान, सर्वश्रेष्ठ ज्ञान माना जाता है। गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसमें लिखा हर शब्द स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकला है। इसलिए इस ग्रंथ के हिंदू धर्म में इतना महत्वपूर्ण माना गया है। आज हम आपको गीता के अनुसार, ऐसे 3 काम बातने जा रहे हैं, जिन्हें पाप की श्रेणी में रखा जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

त्रिविधं नकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।।

भगवद गीता (16.21) के इस श्लोक में बताया गया है कि काम, क्रोध और लोभ, ये तीनों नरक के द्वार हैं, जो आत्मा का नाश करते हैं। इसलिए इन तीनों का त्याग करने में ही भलाई है। व्यक्ति की ये तीनों प्रवृत्तियां उसे पनत की ओर ले जाती हैं। ऐसे में अगर आप एक कल्याणकारी जीवन की कामना रखते हैं, तो इनका त्याग कर दें।

  

(Picture Credit: Freepik)

चलिए जानते हैं कि ये तीनों आपके लिए कैसे कष्टकारी साबित हो सकती हैं -
1. काम

काम यानी व्यक्ति के मन की वासना को भी गीता में नर्क के द्वार की ओर ले जाने वाला बताया गया है। इसके कारण व्यक्ति की आसक्तियां और वासनाएं बढ़ने लगती है, जिसके कारण व्यक्ति पाप का आचरण करने लगता है। इसलिए गीता में यह बताया गया है कि व्यक्ति की काम वासना उसे अधोगति (पतन) की ओर ले जाती है।
2. क्रोध

क्रोध से मनुष्य के मन में भ्रम की स्थिति पैदा करता है और उसका विवेक भी काम नहीं करता। जब व्यक्ति क्रोध में होता है, तो उसके सोचने समझने की शक्ति भी नष्ट हो जाती है, जिससे कई बार वह गलत फैसले ले लेता है या फिर हिंसा, अपशब्द और बुरे कर्मों में लिप्त हो जाता है। इसका सीधा प्रभाव व्यक्ति के भविष्य पर पड़ता है। ऐसे में क्रोध व्यक्ति को विनाश की ओर ले जाता है। इसलिए गीता में क्रोध को भी पतन की ओर ले जाने वाला बताया गया है।

  

(Picture Credit: Freepik)
3. लोभ

लोभ अर्थात लालच, उन 3 प्रवृत्तियों में से एक माना गया है, जो व्यक्ति का विनाश की ओर ले जाता है। गीता में अर्जुन को उपदेश देते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि चाहे व्यक्ति को जीवन में सबकुछ क्यों न मिल जाए, लेकिन वह कभी संतुष्ट नहीं होता, क्योंकि व्यक्ति के मन का लालच कभी समाप्त नहीं होता। और पाने की लालसा व्यक्ति को अधर्म के मार्ग पर ले जाती है। इसलिए लालच भी व्यक्ति के पतन का कारण बन सकता है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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