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चीन में बसे प्रवासी ओमर, देव और जैकब की सफलता की कहानियां, मेहनत और लगन से हासिल किया मुकाम

cy520520 2025-11-27 21:06:51 views 139

  



डिजिटल टीम, नई दिल्ली। चीन के अलग-अलग शहरों में बसे विदेशी नागरिकों की जीवन कहानियां दिखाती हैं कि कैसे मेहनत, लगन और सांस्कृतिक समझ मिलकर एक नई पहचान गढ़ती हैं। यह वीडियो तीन व्यक्तियों यमन से आए डॉक्टर ओमर, भारत के शेफ और उद्यमी देव, और इटली के क्यूरेटर जैकब की यात्रा को सामने लाता है, जो चीन में रहकर अपने-अपने क्षेत्रों में नई कहानी लिख रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

डॉ ओमर: यमन से चीन तक - सेवा और भरोसे की कहानी
सुबह 10 बजे ओमर के क्लिनिक में भारी भीड़ उमड़ती है। यमन से आए ओमर पिछले 20 वर्षों से चीन के यीवू शहर में रह रहे हैं, और यहाँ के एकमात्र विदेशी डॉक्टर हैं। शहर के 100 से अधिक विदेशी निवासी भाषा और सांस्कृतिक समझ के कारण उन्हीं के पास इलाज के लिए आते हैं।

1997 में चीन आकर ओमर ने तियानजिन मेडिकल यूनिवर्सिटी से क्लिनिकल मेडिसिन की पढ़ाई की। इसके बाद जेजियांग यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट पूरी की और मेडिकल प्रैक्टिस शुरू की। ओमर बताते हैं कि उनके गृहनगर में चीनी डॉक्टरों की बहुत प्रतिष्ठा थी। उसी से प्रेरित होकर उन्होंने चीन जाकर चिकित्सा सीखने का सपना बनाया। आज वे गर्व से कहते हैं- \“अब आप मुझे एक चीनी डॉक्टर भी कह सकते हैं।\“

विदेशी मरीजों की भाषा और संस्कृति को समझना उनकी सबसे बड़ी ताकत है और यही वजह है कि वे लोगों का भरोसा जीत चुके हैं। कठिन परिस्थितियों से लेकर आपातकालीन स्थितियों तक, हर जिम्मेदारी को ओमर गंभीरता से निभाते हैं और यही उन्हें संतोष देता है।

देव: भारतीय संस्कृति का दूत - खानपान से दिल जोड़ने वाला सफर
शेन्ज़ेन आए भारत के देव पिछले 19 वर्षों से चीन में रह रहे हैं और खुद को “शीआन का निवासी” बताते हैं। गरीब पहाड़ी क्षेत्र में जन्मे देव ने 13 साल की उम्र से काम करना शुरू किया था। चीन आने के बाद उन्होंने रेस्तरां में वेटर का काम किया, फिर मेहनत से एक बड़े वेस्टर्न रेस्तरां के मैनेजर बने।

आज वे चीन के सबसे लोकप्रिय भारतीय रेस्टोरेंट मालिकों में से एक हैं, जो 12 साल से भारतीय भोजन और संस्कृति का अनुभव लोगों तक पहुँचा रहे हैं। उनके रेस्टोरेंट में खाना सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभव है - यहाँ योग, संगीत, नृत्य और भारतीय त्योहारों के कार्यक्रम नियमित रूप से होते हैं।

देव का मानना है कि भोजन सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान का माध्यम है। उन्होंने कुनमिंग, वुहान, चेंगदू, लान्झोउ जैसे शहरों में कई शाखाएं खोली हैं और अब हांगझोउ में एक उच्च-स्तरीय “ब्लैक पर्ल” स्तर का रेस्टोरेंट खोलने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा कि हम पड़ोसी देश हैं, लेकिन सांस्कृतिक अंतर को भोजन के ज़रिये कम किया जा सकता है। मुझे गर्व है कि लोग चीन में भारतीय संस्कृति को इतने प्रेम से अपनाते हैं।

जैकब: कला को नया आयाम देने वाले अंतरराष्ट्रीय क्यूरेटर
इटली के फ्लोरेंस से आए जैकब 2001 से चीन में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि इटली मेरा जन्मस्थान है, लेकिन चीन मेरा घर है। वे पारंपरिक चीनी संस्कृति और आधुनिक कला के संगम पर काम करते हैं। हाल ही में वे यानताई में एक समकालीन कला प्रदर्शनी आयोजित कर रहे हैं, जिसमें स्थानीय मंदिरों की ऐतिहासिक विरासत, समुद्री संस्कृति और “माज़ू” देवी की लोक परंपराओं को कला के माध्यम से नए रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

जैकब का लक्ष्य है कि पुरानी सांस्कृतिक कहानियाँ सिर्फ पुस्तकों में न रहें, बल्कि युवा पीढ़ी उन्हें आधुनिक कला के ज़रिये महसूस करे। उन्होंने कहा कि कला वह भाषा है जो इतिहास को वर्तमान से जोड़ती है और लोगों को उनकी जड़ों से परिचित कराती है।

ओमर, देव और जैकब - तीन अलग देशों के लोग, तीन अलग पृष्ठभूमियां, लेकिन चीन में एक समान उद्देश्य: मानवता, संस्कृति और ज्ञान के माध्यम से पुल बनाना। इनकी कहानियां दिखाती हैं कि जब लोग सीमाओं से आगे बढ़कर किसी देश को अपनाते हैं, तो वे सिर्फ अपना भविष्य नहीं बदलते - वे दो संस्कृतियों के बीच नई रोशनी भी जगाते हैं।
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