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आर्थिक बदहाली, भ्रष्टाचार और महंगाई... तंगहाली से जूझते पाकिस्तान के लचर वित्तीय प्रबंधन पर भड़का IMF

cy520520 2025-11-27 04:06:57 views 936

  

पाकिस्तान के लचर वित्तीय प्रबंधन पर भड़का IMF



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान में महंगाई, भ्रष्टाचार और करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है जिसका खामियाजा वहां की आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

इसके लचर वित्तीय प्रबंधन, कैश मानिट¨रग और सार्वजनिक संसाधनों के आवंटन के लिए जवाबदेही तय करने में नाकामी पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने नाराजगी जताई है।

इस संस्था की 186 पृष्ठों की नई रिपोर्ट ने एक कड़वी सच्चाई को उजागर किया है कि पाकिस्तान की आर्थिक परेशानियां मुख्य रूप से अंदरूनी कमजोरियों का नतीजा हैं, बाहरी दबाव का नहीं।
पाकिस्तान में आर्थिक बदहाली, महंगाई, भ्रष्टाचार

IMF ने व्यक्तिगत एवं राजनीतिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए करदाताओं के पैसे का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए गलत इस्तेमाल रोकने की पाकिस्तान को सख्त हिदायत दी है। इसने पाकिस्तान को अपने सिंगल ट्रेजरी अकाउंट (टीएसए) प्रविधान में तुरंत सुधार करने और वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करने तथा टीएसए के तहत संस्थागत पारदर्शिता व निगरानी बढ़ाने के लिए छह महीने के अंदर जरूरी कदम उठाने को कहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

IMF ने बजट और असल खर्च के बीच बढ़ते अंतर पर भी चिंता जताई है क्योंकि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान नेशनल असेंबली से 9.4 ट्रिलियन रुपये मंजूर किए गए जो पिछले साल की तुलना में पांच गुना ज्यादा है।
आईएमएफ ने वित्तीय प्रबंधन पर जताई नाराजगी

बहरहाल, IMF उसे अगले महीने 1.2 अरब से ज्यादा की अगली किश्त जारी करने वाली है। मगर, इससे पहले उसने पाकिस्तान को अपनी हरकतों में बदलाव लाने की ताकीद की है। पिछले साल IMF की सहमति के आधार पर उसे 39 महीनों की अवधि में सात अरब डालर दिए जाएंगे।

पाकिस्तान आब्जर्वर वेबसाइट के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि भ्रष्टाचार, कमजोर होती संस्थाएं और हावी होते निजी स्वार्थों ने देश को आर्थिक बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया है।
धन के दुरुपयोग पर आईएमएफ की चेतावनी

पाकिस्तान के पास भ्रष्टाचार को मापने का कोई भरोसेमंद सिस्टम नहीं है। लेकिन, यह कितने बड़े पैमाने पर हो रहा है, इसका संकेत इसी बात से मिलता है कि नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) ने सिर्फ दो साल में ही 5,300 अरब रुपये की रिकवरी की है।

पाकिस्तान में नीति-निर्धारण में अक्सर असरदार संगठनों का ही दखल रहता है जो सरकारी संस्थाओं का इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए करते हैं।

(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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