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Agra Metro Project: कट और कवर तकनीक से अंडर ग्राउंड स्टेशन, प्रीकास्ट गर्डर का उपयोग; आगरा मेट्रो एक नजर में

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आगरा मेट्रो, यूएमआरसी।



जागरण संवाददाता, आगरा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण हो या फिर लोक निर्माण विभाग, जल निगम और सेतु निर्माण निगम। आमतौर पर इन निर्माणदायी एजेंसियों के पास सबसे बड़े प्रोजेक्ट होते हैं। हर प्रोजेक्ट की समय सीमा होती है। अगर इन एजेंसियों के पूर्व में हुए कार्यों को देखा जाए तो 75 प्रतिशत कार्य तय सीमा के भीतर नहीं हुए हैं। 45 प्रतिशत प्रोजेक्ट की लागत में संशोधन किया जाता है। इससे परेशानी और भी बढ़ जाती है लेकिन उप्र मेट्रो रेल कारपोरेशन (यूपीएमआरसी) का कार्य इसके ठीक विपरीत है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

टनल की खोदाई को छोड़ दिया जाए तो बाकी का कार्य तय सीमा से पूर्व हुआ है। टनल का निर्माण टनल बोरिंग मशीन और सात भूमिगत स्टेशनों का कट और कवर तकनीक से हुआ है। प्री कास्ट तकनीक से मेट्रो के पिलर कैप व सभी गर्डर बने हैं। रिग मशीनों से पाइलिंग करते हुए पिलर बनाए गए हैं।

इसकी शुरुआत बैरीकेडिंग से होती है। इसके बाद पानी, सीवर लाइन, टेलीफोन सहित अन्य लाइनों को जरूरत के हिसाब से शिफ्ट किया जाता है। जून 2027 तक 30 किमी लंबा ट्रैक बनाने का लक्ष्य रखा गया है। मगर, यह कार्य यूपीएमआरसी मार्च 2027 तक पूरा कर लेगी। फरवरी 2026 में आईएसबीटी से बिजलीघर चौराहा तक मेट्रो के पांच स्टेशनों का संचालन शुरू होगा।

तीन चरणों में होता है सर्वे, एनओसी पर विशेष ध्यान


मेट्रो का कार्य चालू करने से पहले यूपीएमआरसी तीन चरणों सर्वे करती है। एक टीम संबंधित विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) को लेकर आवेदन करती है। दूसरी टीम मिट्टी के नमूने लेती है और तीसरी टीम बैरीकेडिंग लगाने के स्थल को चिन्हित करती है। जैसे ही तीनों कार्य पूरे हो जाते हैं फिर संयुक्त टीम कार्य चालू करती है। हर दिन कितना कार्य करना है और शाम तक कितना कार्य हुआ है। इसे चेक किया जाता है। इसी के साथ आगामी तीन से पांच दिनों में कितना कार्य करना है। इसकी योजना बना ली जाती है। सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से कार्य पर नजर रखी जाती है।

संसाधनों का बेहतरीन प्रयोग


यूपीएमआरसी द्वारा संसाधनों का बेहतरीन प्रयोग किया जाता है। 70 से 80 फीट गहरे पिलर निर्माण की बात की जाए तो एक रिग मशीन द्वारा एक दिन में डेढ़ पाइल की खोदाई की जाती है। मगर, यूपीएमआरसी द्वारा एक मशीन से एक पाइल की खोदाई का लक्ष्य रखा जाता है। इसी आधार पर 15 से 17 मशीनों का प्रयोग किया जा रहा है। इससे एक ही दिन में 15 पाइलिंग पूरी हो जाती हैं और जल्द कार्य भी पूरा हो जाता है। शाहगंज स्थित रुई की मंडी रेलवे फाटक में 116 करोड़ रुपये से रेल ओवर ब्रिज बन रहा है। चार से पांच माह में एक पिलर भी बनकर तैयार नहीं हुआ है। वहीं एमजी रोड पर पूरा ट्रैक यूपीएमआरसी ने बना दिया है।  

प्री कास्ट तकनीक का प्रयोग


यूपीएमआरसी द्वारा प्री कास्ट तकनीक से गर्डर का निर्माण किया जाता है। इस कार्य से स्टेशन भी बनाए जा रहे हैं। कास्टिंग यार्ड में गर्डर की क्षमता, लंबाई और चौड़ाई के हिसाब से तैयार किया जाता है। गर्डर को बारी-बारी से निर्माण स्थल में जोड़ दिया जाता है। इसमें यू-गर्डर, वी-गर्डर, टी-गर्डर, डबल टी गर्डर, आई-गर्डर शामिल हैं। प्रत्येक गर्डर का प्रयोग ट्रैक के निर्माण में होता है। इसी तकनीक से एलीवेटेड मेट्रो स्टेशनों का भी निर्माण किया जाता है। इससे समय की बचत होती है।  

कट और कवर तकनीक


इस तकनीक का प्रयोग भूमिगत स्टेशनों के निर्माण में किया जाता है। मिट्टी को काटकर सबसे पहले ट्रेंच बनाया जाता है। स्टेशन के निर्माण में टाप डाउन तकनीक का प्रयोग होता है। इसमें सबसे पहले स्टेशन के बाहरी हिस्से की दीवार तैयार की जाती है। इसकी मोटाई एक से डेढ़ मीटर तक होती है। इसके बाद नीचे से ऊपर की तरफ कार्य किया जाता है। इसमें खोदाई करने वाली मशीनों का प्रयोग किया जाता है।


आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट

  

  • 8369 करोड़ रुपये से 30 किमी लंबा कॉरिडोर बन रहा है
  • 273 करोड़ रुपये से फतेहाबाद रोड पर तीन मेट्रो स्टेशन बने हैं
  • 1800 करोड़ रुपये से मेट्रो के सात भूमिगत स्टेशनों का निर्माण हो रहा है
  • 116 करोड़ रुपये से मेट्रो का पहला यार्ड तैयार हुआ है
  • 2080 करोड़ रुपये से आगरा कैंट रेलवे स्टेशन से कालिंदी विहार तक दूसरा कारिडोर बन रहा है
  • 275 करोड़ रुपये से नेशनल हाईवे-19 के तीन स्टेशन बन रहे हैं
  • 90 किमी प्रति घंटा मेट्रो की अधिकतम गति है
  • 45 किमी प्रति घंटा मेट्रो की औसत गति है
  • 2 मिनट में एक किमी का सफर मेट्रो कर रही है


एलीवेटेड और भूमिगत मेट्रो कार्य की समय सीमा तय है। अगर टनल के कार्य को छोड़ दिया जाए तो हर कार्य तय सीमा में हो रही है। जून 2027 तक 30 किमी लंबे कारिडोर में मेट्रो का संचालन चालू हो जाएगा। अरविंद कुमार राय, परियोजना निदेशक आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट
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