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रेवाड़ी रोडवेज डिपो में निरीक्षकों की भारी कमी, बसों में बिना टिकट यात्रा और राजस्व घटने का बढ़ा संकट

Chikheang 12 hour(s) ago views 626

  

रोडवेज कार्यशाला में खड़ी बसें। जागरण



जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। स्थानीय रोडवेज डिपो में निरीक्षकों के 50 में से 40 पद रिक्त पड़े हुए हैं, जिससे बसों टिकट जांच के राम पर खानापूर्ति हो रही है। बसों में यात्री बिना टिकट के ही यात्रा कर रहे हैं। वहीं रोडवेज की रिसीट भी घट रही है, क्योंकि बस में किसी की जांच का भय नहीं है। इससे सरकार को न केवल हर महीने राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि रोडवेज की छवि भी खराब हो रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

रोडवेज डिपो में तीन वर्ष से नए निरीक्षक व उपनिरीक्षक नहीं आए हैं। जबकि हर दो तीन माह में निरीक्षक और उपनिरीक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मौजूदा समय में डिपो में केवल चार निरीक्षक व छह उपनिरीक्षक ही कार्यरत हैं। इनमें से भी एक निरीक्षक को डीआइ, एक को बीआइ व एक को कटरा स्टैंड पर, तीन बस फ्लाइंग में, दो जीएम फ्लाइंग व दो टीएम फ्लाइंग में लगे हुए हैं।

इसके कारण बसों में यात्रा करने वाले यात्रियों की जांच नही हो पा रही है। वर्तमान में डिपो में निरीक्षक और उपनिरीक्षक के कुल 50 पद स्वीकृत हैं। रोडवेज डिपो कर्मचारियों की कमी लंबे समय से झेल रहा है। इस कारण व्यवस्था बनाने में रोडवेज प्रबंधन को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।
तीन वर्ष से परिचालकों है पदोन्नति का इंतजार

रोडवेज यूनियन के अनुसार पिछले तीन वर्ष से अधिक समय से परिचालकों के पदोन्नति की फाइल अटकी हुई है जबकि विभाग में अन्य कर्मचारियों की पदोन्नति हो रही है। जब परिचालकों के प्रमोशन ही नहीं होंगे तो नए उपनिरीक्षक कैसे आएंगे। उपनिरीक्षक पदोन्नति पाकर निरीक्षक बनते हैं। वर्ष 2008, 2012 में भर्ती हुए परिचालकों को पदोन्नति इंतजार है।
जांच के लिए है तीन फ्लाइंग टीमें

डिपो में कार्यरत दो निरीक्षक को जीएम व दो को टीएम फ्लाइंग और तीन निरीक्षकों को बस बेड़े की फ्लाइंग में लगाया हुआ है। इसके अलावा एक निरीक्षक को डीआइ, एक को बीआइ तथा एक को कटरा स्टैंड पर लगाया हुआ है। तीन वर्ष पहले तक डिपो में बसों की जांच से तीन से चार लाख रुपये प्रतिमाह कमाई होती थी।

वर्तमान में यह एक लाख रुपये प्रतिमाह से भी कम हो गई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डिपो को प्रतिमाह कितना नुकसान हो रहा है। पहले पांच से छह टीमें रूटों पर बसों में बिना टिकिट यात्रियों की जांच करती थी। यह टीमें प्रतिदिन लगभग सभी रूटों को कवर कर लेती थी, लेकिन अब दो से तीन माह में किसी रूट पर बसों की जांच का नंबर आता है।




डिपो में निरीक्षकों की कमी को लेकर मुख्यालय को अवगत कराया हुआ है। निरीक्षकों की कमी के बावजूद हम बेहतर तरीके से कार्य कर रहे हैं। बिना टिकट यात्रियों से प्रतिमाह एक से डेढ लाख रुपये जुर्माना वसूल किया जा रहा है। आने वाले दिनों में निरीक्षक मिलने की उम्मीद है।
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निरंजन कुमार, महाप्रबंधक रोडवेज
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