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म्यांमार के साइबर-फ्रॉड कैंप में भारतीय युवाओं को भेजने वाले रैकेट का भंडाफोड़, दो मानव तस्कर गिरफ्तार

Chikheang 2025-11-27 02:06:41 views 702

  

आई4सी के साथ मिलकर एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी सिंडिकेट के दो एजेंट को गिरफ्तार किया है।



जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) ने गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर (आई4सी) के साथ मिलकर एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी सिंडिकेट के दो एजेंट को गिरफ्तार किया है जो विदेश में नौकरी दिलाने के बहाने युवाओं को म्यांमार लेजाकर वहां से साइबर सिंडिकेट को सौंप देते थे। उसके बाद साइबर सिंडिकेट उन्हें एक कमरे में कैद रखकर उनसे अलग-अलग देश के लोगों को काॅल करवा अलग-अलग तरीके की ठगी की वारदात करवाते थे। गिरफ्तार एजेंट प्रति युवा 35 से 40 हजार रुपये वसूलते थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पासपोर्ट वाले युवाओं पर नजर

जांच में पता चला है कि ये मानव तस्कर ऐसे युवाओं को निशाना बनाते थे जिनके पासपाेर्ट बने होते थे। डील के अनुरूप पैसा लेने के बाद ये लोग उन्हें पहले थाईलैंड भेज देते थे। वहां एयरपोर्ट से बाहर आते ही इनके सिंडिकेट से जुड़े वहां के एजेंट युवाओं के पासपोर्ट जब्त कर लेते थे और उन्हें नावों से म्यांमार लेजाकर साइबर सिंडिकेट को सौंप देते थे। उसके बाद साइबर सिंडिकेट युवाओं को कैद रख यातना देते थे और उनसे ठगी की वारदात कराते थे।
छापा मारने पर हुआ खुलासा

डीसीपी आईएफएसओ विनीत कुमार के मुताबिक गिरफ्तार किए गए एजेंटों के नाम दानिश राजा (बवाना) व हर्ष (फरीदाबाद) है। ये भारतीय युवाओं को म्यांमार में साइबर-फ्राॅड ऑपरेशन में फंसाता था। 22 अक्टूबर को म्यांमार मिलिट्री ने अपने देश में कुछ साइबर अपराधियों के ठिकाने पर छापा मारकर बड़ी संख्या में उनके कब्जे में फंसे युवाओं को हिरासत में लेकर उन्हें मानव तस्करी कैंप में रखवा दिया था। वहां कुछ समय तक रखने के बाद उन्हें वापस उनके देश भेज दिए गए।
साइबर अपराध के लिए म्यांमार भेजा गया

बवाना के रहने वाले एक युवक को विदेश मंत्रालय के सहयोग से म्यांमार से भारतीय दूतावास की मदद से 19 नवंबर को वापस दिल्ली भेज दिया गया। उसके बाद आई4सी के साथ मिलकर, डिपोर्ट किए गए लोगों की बारीकी से जांच की गई ताकि पता चल सके कि क्या उन्हें साइबर अपराध के लिए म्यांमार भेजा गया था।

वापस भेजे गए लोगों में से जेजे काॅलोनी बवाना के रहने वाले इम्तियाज बाबू की शिकायत पर आइएफएसओ ने केस दर्ज कर जांच के बाद दोनों एजेंट को गिरफ्तार कर लिया। शिकायत उसने आराेप लगाया कि उसे म्यांमार में डाटा-एंट्री ऑपरेटर की अच्छी नौकरी का वादा करके भेजा गया था।
हथियारबंद गार्ड की तैनाती

पहले उसे कोलकाता ले जाया गया फिर वहां से बैंकाॅक और उसके बाद नाव से म्यावाडी के रास्ते म्यांमार ले जाया गया। वहां केके पार्क, म्यावाडी में एक स्कैम कॉम्प्लेक्स के अंदर कैद करके रखा गया और वहां से अमेरिकी नागरिकों को टारगेट करके साइबर-फ्राॅड करने के लिए मजबूर किया गया। पीड़ित कमरे से निकलकर कहीं भाग न पाए इसके लिए बाहर हथियारबंद गार्ड की तैनाती रहती थी।
आपत्तिजनक चैट और बातचीत के साक्ष्य मिले

20 नवंबर को केस दर्ज करने के बाद एसीपी विवेकानंद झा व इंस्पेक्टर नीरज चौधरी की टीम ने दानिश राजा को बवाना से गिरफ्तार कर लिया। उसने म्यांमार में साइबर सिंडिकेट से जुड़े होने और मार्च में अपने डिपोर्टेशन के बाद भारत में भर्ती की गतिविधियां जारी रखने की बात कबूल की। उससे पूछताछ के बाद हर्ष को फरीदाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों के मोबाइल में म्यांमार के हैंडलर्स के साथ आपत्तिजनक चैट और बातचीत के साक्ष्य मिले हैं। पुलिस इनके मनी ट्रेल का पता लगा रही है और सिंडिकेट में शामिल अन्य के बारे में पता लगाया जा रहा है।

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