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हवाई जहाज की तरह सैनिटाइज किए जाएंगे ट्रेनों के कोच, वंदे भारत-शताब्दी और राजधानी में सफल रही ट्रेस्टिंग

deltin33 2025-11-27 01:51:08 views 201

  



संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए अल्ट्रा वायलट किरणों से कोच को सैनिटाइज किया जाएगा। अस्पतालों में इस तकनीक का उपयोग होता है। विमान को भी इस तकनीक से संक्रमण मुक्त किया जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अब ट्रेनों में भी इसे अपनाने की तैयारी है। दिल्ली रेल मंडल में इसका प्रयोग सफल रहा है। अब अन्य मंडलों में भी अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) की निगरानी में प्रायोगिक तौर पर इस तकनीक का उपयोग करने की तैयारी है।

दिल्ली मंडल ने नई दिल्ली-रानी कमलापति शताब्दी (12002), नई दिल्ली लखनऊ स्वर्ण जनशताब्दी (12004/12005), नई दिल्ली-अजमेर शताब्दी (12015), नई दिल्ली-कालका शताब्दी (12011), नई दिल्ली-अमृतसर शताब्दी (12013), नई दिल्ली-काठगोदाम शताब्दी (12040), नई दिल्ली-डिब्रुगढ़ राजधानी एक्सप्रेस (12424/12425) और नई दिल्ली- माता वैष्णों देवी कटड़ा वंदे भारत एक्सप्रेस (22439) में यूवीसी (अल्ट्रा वायलट सी बैंड) तकनीक का परीक्षण किया गया।

रिमोट कंट्रोल से चलने वाली इस मशीन से कुछ मिनट में ही कोच कीटाणुरहित हो जाते हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह तकनीक उन स्थानों को भी कीटाणुरहित करने में भी कारगर है जिसे किसी और तरीके से सैनिटाइज नहीं किया जा सकता है। इसके उपयोग में मानव के संपर्क की जरूरत नहीं पड़ती है, इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित है।

वाशिंग लाइन पर इसे आसानी से उपयोग में लाया जा सकता है। सरकार द्वारा प्रमाणित प्रयोगशाला द्वारा किए गए परीक्षण में पाया गया है कि इस तकनीक से 99.99 प्रतिशत तक जीवाणु व कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया है।

लगभग एक वर्ष तक परीक्षण करने के बाद उत्तर रेलवे ने रेलवे बोर्ड को रिपोर्ट भेजी थी। रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद रेलवे बोर्ड ने कुछ दिनों पहले सभी क्षेत्रीय रेलवे को पत्र लिखकर आरडीएसओ की निगरानी में एक वर्ष के लिए प्रायोगिक तौर पर यूवीसी तकनीक को अपनाने को कहा गया है। इसमें उत्तर रेलवे से भी सहयोग लेने की सलाह दी गई है।

अधिकारियों का कहना है कि यूवीसी तकनीक बेहद प्रभावी है। यह पानी, हवा और सतह—तीनों में संक्रमण की संभावना कम करती है। ट्रेन जैसे बंद वातावरण में यह तकनीक लाभकारी साबित हो सकती है। यह तकनीक पूरी तरह रसायन-मुक्त और पर्यावरण-अनुकूल है।

यह तकनीक हीटिंग-वेंटिलेशन-एयर कंडीशनिंग सिस्टम (एचवीएसी) के साथ भी एकीकृत हो सकती है। इससे चलती ट्रेन में भी हवा लगातार शुद्ध होती रहेगी। बोर्ड से अनुमति मिलने के बाद नियमित रूप से इसका उपयोग किया जाएगा।

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