इजरायल में महाराजा दिग्विजय सिंहजी की प्रतिमा। इमेज सोर्स- सोशल मीडिया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कुछ यहूदियों सहित असहाय पोलिश बच्चों को बचाने के उनके प्रयासों के सम्मान में इजरायल के दक्षिणी मोशाव (किसानों का समुदाय) में महाराजा दिग्विजय सिंहजी रणजीत सिंहजी की एक प्रतिमा का अनावरण किया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
भारतीय यहूदी विरासत केंद्र के एक कार्यकारी ने बताया कि यह प्रतिमा जेरी क्लिंगर द्वारा दान की गई है और सैम फिलिप्स इसके मूर्तिकार हैं।भारत में नवानगर रियासत के तत्कालीन महाराजा को युद्ध के दौरान उनकी अनुकरणीय करुणा के लिए सोमवार शाम को भारतीय यहूदी विरासत केंद्र (आइजेएचसी) और कोचीनी यहूदी विरासत केंद्र (सीजेएचसी) द्वारा याद किया गया।
नवानगर रियासत को अब गुजरात राज्य में जामनगर के रूप में जाना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब यूरोप संघर्ष और उत्पीड़न की आग में झुलस रहा था, तब महाराजा एक अप्रत्याशित रक्षक के रूप में उभरे और उन्होंने लगभग एक हजार पोलिश बच्चों को बचाया, जिनमें से कुछ यहूदी भी थे।
उन्होंने इन बच्चों को गोद लिया और 1942 में जामनगर के बालाचडी गांव में उनके लिए एक घर बनवाया, जिससे उन्हें युद्ध की भयावहता से बचाया गया। प्रतिमा अनावरण समारोह में उपस्थित इजरायल में भारत के राजदूत जेपी सिंह ने महाराजा की करुणा के बारे में बात की और उन्हें आशा की किरण बताया और याद दिलाया कि मानवता सभी सीमाओं से ऊपर उठती है।
इजराइल में पोलैंड के राजदूत मैसिएज हुनिया ने भी समारोह में भाग लिया और इसे एक बहुत ही भावुक क्षण बताया। पोलिश दूत ने कहा कि पोलैंड में एक चौक, एक स्मारक और एक ट्राम का नाम महाराजा के नाम पर रखा गया है। उन्होंने कहा कि 11 मार्च को पोलिश सरकार ने उन्हें अच्छे महाराजा के रूप में याद किया और बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने में उनकी उत्कृष्ट सेवा के सम्मान में उन्हें कमांडर्स क्रास से भी सम्मानित किया गया है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ) |