सेंटर फोर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) की एक रिपोर्ट में सामने आई तस्वीर।
राज्य ब्यूरा, नई दिल्ली। वायु गुणवत्ता की स्थिति दिल्ली एनसीआर ही नहीं, बल्कि देश भर में खासी चिंताजनक है। इससे ज्यादा चौंकाने वाले तथ्य और क्या हो सकता हैं कि भारत के 749 (विश्लेषण में शामिल) में से 447 जिले यानी करीब 60 प्रतिशत जिलों में पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय मानक से ऊपर पाया गया है। इनमें दिल्ली सबसे प्रदूषित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के रूप में शामिल है।
यह चिंताजनक तस्वीर सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) की एक रिपोर्ट में सामने आई है। इसके मुताबिक दिल्ली में वार्षिक औसत पीएम 2.5 स्तर 101 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर जा पहुंचा, जो भारतीय मानक से ढाई गुना और डब्ल्यूएचओ की सीमा से 20 गुना अधिक है।
चंडीगढ़ दूसरे स्थान पर रहा। इसके बाद हरियाणा, त्रिपुरा, असम, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, मेघालय और नागालैंड का स्थान है, ये सभी राष्ट्रीय मानक से ऊपर पाए गए। सबसे ज्यादा प्रदूषित 50 जिलों में सबसे अधिक योगदान देने वाले प्रदेश या जिले दिल्ली से 11, असम से 11, हरियाणा से सात, बिहार से सात, उत्तर प्रदेश से चार, त्रिपुरा से तीन, राजस्थान से दो और बंगाल से दो शामिल हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दिल्ली, असम, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर में निगरानी वाले सभी जिले मानक से ऊपर पाए गए। मौसम के अनुसार प्रदूषण की स्थिति के मामले में 82 प्रतिशत जिले सर्दी, 54 प्रतिशत गर्मी, 54 प्रतिशत, 10 प्रतिशत मानसून और 75 प्रतिशत मानसून के बाद की स्थिति को लेकर मानकों से ऊपर रहे।
सीआरईए के विश्लेषक मनोज कुमार ने बताया कि भारत की वायु समस्या को सिर्फ शहरों की धुंध या सर्दियों की समस्या नहीं माना जा सकता। यह पूरे वर्ष और पूरे देश की समस्या है। इसके लिए जिला और क्षेत्र आधारित नीति जरूरी है।
देश भर में सर्वाधिक प्रदूषित 10 राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश
राज्य / केंद्रशासित प्रदेश PM2.5 (µg/m³)
दिल्ली
101
चंडीगढ़
70
हरियाणा
63
त्रिपुरा
62
असम
60
बिहार
59
पश्चिम बंगाल
57
पंजाब
56
मेघालय
53
नागालैंड
52
कुछ बड़े राज्यों की स्थिति, मानक से ऊपर जिले
राज्य कुल जिले मानक से ऊपर जिले
बिहार
38
37
बंगाल
23
22
गुजरात
33
32
नागालैंड
12
11
राजस्थान
33
30
झारखंड
24
21
(नोट : लद्दाख, अंडमान–निकोबार और लक्षद्वीप को पर्याप्त आंकड़ों के अभाव में विश्लेषण से बाहर रखा गया।)
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