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कहीं ले न डूबे ऑलराउंडरों पर भरोसा, टेस्ट में फेल नजर आ रही गंभीर की रणनीति

deltin33 2025-11-26 10:36:48 views 247

  

गौतम गंभीर की कोचिंग पर उठ रहे हैं सवाल



अभिषेक त्रिपाठी, जागरण नई दिल्ली: टेस्ट स्पेशलिस्ट से ज्यादा ऑलराउंडरों पर भरोसा भारतीय टीम को ले डूबेगा। कोच गौतम गंभीर के कार्यकाल में न्यूजीलैंड के बाद दक्षिण अफ्रीकी टीम भारतीय टीम के विरुद्ध घर पर क्लीन स्वीप करने को तैयार खड़ी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

घरेलू परिस्थितियों और मनचाही पिच के बावजूद इस दयनीय स्थिति ने गंभीर के आलोचकों को आग उगलने का मौका दे दिया है। अपनी कोचिंग में कोलकाता नाइटराइडर्स को चैंपियन बनाने वाले गंभीर पर आरोप लग रहे हैं कि वह लाल गेंद की क्रिकेट में टी-20 के आधार पर टीम चुन रहे हैं जिसके कारण भारतीय टीम को क्रिकेट के सबसे बड़े प्रारूप में झटके पर झटके लग रहे हैं। गंभीर जबसे कोच बने हैं तब से भारत को घर में खेले आठ टेस्ट में से चार में हार मिली है।
टेस्ट स्पेशलिस्ट की कमी

गौतम गंभीर की कोचिंग में भारत ने पिछले साल घर पर बांग्लादेश के विरुद्ध दो मैचों की सीरीज जीतकर इस प्रारूप में बेहतरीन शुरुआत की थी, लेकिन उसके बाद न्यूजीलैंड ने भारत को उसके घर पर पहली बार 0-3 की शर्मनाक हार का स्वाद चखाया। हालांकि, रोहित शर्मा की कप्तानी में खेली भारतीय टीम ने उस सीरीज में टेस्ट स्पेशलिस्ट ही खिलाए थे। इसके बावजूद उसे हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारतीय टीम पांच टेस्ट मैचों की सीरीज 1-3 से हारी जबकि इंग्लैंड में हुए तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी को उसने 2-2 से ड्रॉ कराया।

इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका को घर पर आसानी से हरा देगी लेकिन तेंबा बावुमा की टीम ने इनकी पोल खोलकर रख दी।
ऑलराउंडरों पर जोर

टी-20 और वनडे पर ऑलराउंडरों पर फोकस करने वाली भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका के सामने टेस्ट में भी ये प्रयोग करके अपनी कब्र खोद ली। कोच गंभीर ने इस सीरीज के दोनों टेस्ट में चार-चार स्पेशलिस्ट बल्लेबाज खिलाए। यशस्वी जायसवाल, केएल राहुल और ध्रुव जुरैल दोनों टेस्ट में खेले। पहले मैच में कप्तान शुभमन गिल के चोटिल होने के बाद गुवाहाटी में दूसरे टेस्ट में साई सुदर्शन आ गए। हालांकि इन चारों का प्रदर्शन भी अब तक कुछ खास नहीं रहा।
तीन नंबर पर प्रयोग

कभी जिस तीन नंबर पर राहुल द्रविड़ और चेतेश्वर पुजारा जैसे बल्लेबाज खेलते थे वहां वॉशिंगटन सुंदर जैसे ऑलराउंडर को खेलते देखना दिल दुखाने वाला रहा। काफी समय से इस नंबर पर भारतीय टीम प्रबंधन स्थायी बल्लेबाज नहीं खोज पा रहा है। शुभमन गिल, केएल राहुल, करुण नायर और साई सुदर्शन के बाद कोलकाता में इस स्थान पर आलराउंडर वॉशिंगटन को खिलाया गया। गुवाहाटी में फिर साई तीसरे नंबर पर उतरे।

पांचवें नंबर पर भी परेशानी बनी हुई है। कभी ऋषभ पंत तो कभी ध्रुव जुरैल तो कभी रवींद्र जडेजा को इस नंबर पर खिलाया जा रहा है। वीवीएस लक्ष्मण और अजिंक्य रहाणे जैसे बल्लेबाज कभी इस नंबर पर भारतीय टीम को स्थायित्व देते थे।
ऑलराउंडर नहीं दिला पा रहे विकेट

आलराउंडरों पर फोकस से रन बनाने में ही समस्या नहीं आ रही बल्कि विकेट भी नहीं मिल रहे हैं। 2013 से 2023 तक भारत को घरेलू पिच पर रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा की स्पिन जोड़ी ने विकेटों की झड़ी लगा दी थी जो जीत की बहुत बड़ी वजह थी। वॉशिंगटन सुंदर टीम की प्राथमिकता बन गए और बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के बीच में अश्विन ने ब्रिसबेन में संन्यास की घोषणा कर दी।

उनके जाने के बाद जडेजा अकेले पड़ गए। उनमें और कुलदीप में वह तारम्य नजर नहीं आ रहा। सुंदर और अक्षर पटेल जैसे स्पिन ऑलराउंडर भारत में भी लगातार विकेट दिलाने में असमर्थ नजर आ रहे हैं। मध्यम गति के गेंदबाज नीतीश रेड्डी को भारत में ऑलराउंडर के तौर पर खिलाना बेहद खराब निर्णय साबित हुआ। ऑस्ट्रेलिया में लगाए एकमात्र शतक को छोड़ दिया जाए तो उनके सीवी में ऐसा कुछ नहीं है जिस पर भारतीय चयनकर्ता विचार भी करें। भारतीय कप्तान उनको ज्यादा ओवर देते नहीं, वह रन बनाते नहीं तो आखिरी वह टीम में क्यों हैं?
13 महीने के भीतर दूसरी घरेलू सीरीज में हार का खतरा

पिछले साल जुलाई में गंभीर भारतीय टीम के मुख्य कोच बने थे। उनकी कोचिंग में भारत ने बांग्लादेश को 2-0 से सीरीज हराई। न्यूजीलैंड ने 36 साल से भारत में कोई टेस्ट नहीं जीता था, लेकिन गंभीर की कोचिंग में न्यूजीलैंड ने न सिर्फ मुकाबला जीता, बल्कि सीरीज में 0-3 से क्लीन स्वीप भी कर लिया। भारत को घर पर 12 साल बाद टेस्ट सीरीज में हार का सामना करना पड़ा था। उसके 13 महीने के अंदर ही भारत को दक्षिण अफ्रीका ने कोलकाता टेस्ट में हरा दिया। इस अफ्रीकी टीम को भारत में आखिरी जीत 15 साल पहले मिली थी। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका के पास 25 साल बाद भारत में सीरीज जीतने का मौका है।

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