जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। धनाभाव में एमसीडी ने 15 लाख रुपये की लागत से तेहखंड इंजीनियरिंग लेंडफिल साइट पर सुरक्षा एजेंसी नहीं लगाई लेकिन अब उसे दो करोड़ रुपये का खर्चा वहन करना पड़ेगा। यहां लगे लीचेड ट्रीटमेंट प्लांट(एलटीपी) के पूर्जे चोरी हो गए हैं। इसकी वजह से यह इंजीनियरिंग लैंडफिल साइट अनुपयोगी हो गई है क्योंकि वर्षा होने पर जो पानी यहां एकत्रित होगा वह एलटीपी में जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एलटीपी चालू न होने की वजह वह पानी इधर-उधर बहकर जमीन को प्रदूषित करेगा। जबकि इसी को रोकने के लिए इंजीनियरिंग लैंडफिल साइट बनाई गई थी। ताकि जमीन प्रदूषित न हो।
दरअसल, पूर्व में अभी तक कूड़ा लैंडफिल साइटों पर डाला जाता रहा है। इससे जमीन प्रदूषित होती है। इसको देखते हुए कचरे को वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने के लिए एमसीडी ने यह ईएसएलएफ बनाई थी। 2024 में यह चालू किया गया था। 42.3 करोड़ की लागत से यह ईएसएलएफ की पूरी परियोजना तैयार हुई थी।
25 एकड़ में बनी ईएसएलएफ पर एलटीपी 100 किलोलीटर प्रतिदिन की क्षमता का लगाया गया था। ईएसएलएफ चूंकि गहरे गड्डे को खोदकर बनाई गई थी और पानी जमीन में न जाए इसके लिए एलटीपी लगाया गया था। मगर मार्च 2024 में यह ईसएलएफ शुरू होने के बाद नवंबर 2024 में निगम ने इसका संचालन करने के लिए एंजेसी नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू की थी।
प्रक्रिया पूरी तो नहीं हो पाई लेकिन पूर्जे चोरी हो गए। ऐसे में अब वहीं स्थिति आ खड़ी हो गई है जो पहले इस ईएसएलएफ के बनने से पूर्व थी। उल्लेखनीय है ईएसएलएफ का उपयोग कूड़े से बिजली बनाने वाले संयंत्र से निकलने वाली राख डालने के लिए किया जाता है। इससे निगम कूड़े से बिजली बनाने वाले संयंत्रो का संचालन करने वाली कंपनियों से 300 रुपये टन का शुल्क भी लेती है।
अधिकारियों का कहना है कि हमने प्रस्ताव किया था कि प्लांट के चारों तरफ सुरक्षा के लिए एजेंसी तैनात कर दी जाए लेकिन निगम के खर्चे कम करने के लिए यह प्रस्ताव मंजूर नहीं हो सका था। हमने 15 लाख रुपये वार्षिक का खर्च का प्रस्ताव किया था लेकिन इसके पुर्जे चोरी हो गए हैं। इन्हें लगाने के लिए अब दो करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
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