बच्चे के साथ मारपीट की सांकेतिक फोटो का इस्तेमाल किया गया है।
विष्णु कुमार, सोनीपत। जिले के स्कूलों में अब विद्यार्थियों के साथ डंडा या दुर्व्यवहार नहीं चलेगा। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ओर से सभी सरकारी और निजी स्कूलों को साफ निर्देश जारी किए गए हैं कि किसी भी परिस्थिति में विद्यार्थियों को शारीरिक या मानसिक दंड न दिया जाए। आदेश में कहा गया है कि ऐसी प्रवृत्ति न केवल बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास को बाधित करती है, बल्कि विद्यालय की छवि को भी धूमिल करती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जिले के सभी राजकीय और निजी विद्यालयों के लिए जारी आदेश में कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009/2011 और बाल न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत शारीरिक व मानसिक दंड एक दंडनीय अपराध है, इसलिए शिक्षक और स्टाफ विद्यार्थियों के साथ गरिमापूर्ण व सम्मानजनक व्यवहार करें। विद्यार्थियों के साथ अध्यापकों एवं स्टाफ का व्यवहार सकारात्मक, प्रोत्साहनात्मक एवं सौम्य होना चाहिए।
बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद भी कई विद्यालयों से ऐसी शिकायतें मिली हैं कि विद्यार्थियों को उठक-बैठक जैसी सजा दी जाती है, कक्षा में बच्चों को अपमानित किया जाता है, विद्यार्थियों व उनके परिवारों पर नकारात्मक टिप्पणी की जाती है और बच्चों को सजा के नाम पर अमानवीय रूप से पेश किया जाता है। जिसे देखते हुए सख्ती बरतने की जरूरत है।Abhishek Sharma, Abhishek Sharma sister, abhishek sharma sister wedding, abhishek sharma sister wedding date, abhishek sharma sister name, komal sharma abhishek sharma sis, komal sharma, abhishek sharma sister, abhishek sharma sis marriage, yuvraj singh, abhishek yuvraj dance, abhishek sharma latest news, abhishek sharma video
डीईओ ने यह दिए निर्देश
- विद्यार्थियों के साथ अपमानजनक व्यवहार करने वाले शिक्षकों पर नजर रखी जाए।
- विद्यार्थियों के बीच सामंजस्य और सकारात्मक माहौल बनाने के लिए नियमित रूप से गतिविधियां और काउंसिलिंग सत्र आयोजित किए जाएं।
- अभिभावकों से निरंतर संपर्क बनाए रखा जाए और किसी भी शिकायत पर तुरंत कार्रवाई की जाए।
- विद्यार्थियों को स्वच्छता अभियान, पौधारोपण, खेलकूद व सांस्कृतिक गतिविधियों से जोड़ा जाए।
- विद्यार्थियों को अनुशासित करने के लिए कठोर दंड के बजाय समझाकर, काउंसिलिंग और सामाजिक सरोकारों से जोड़ने जैसी सकारात्मक पद्धतियों को अपनाया जाए।
विद्यार्थियों को डांटना या दंड देना शिक्षा का हिस्सा नहीं होना चाहिए। हमारा प्रयास है कि हर बच्चा स्कूल में सुरक्षित, सम्मानजनक और सहयोगी वातावरण में पढ़े-लिखे। हम चाहते हैं कि स्कूल बच्चों में आत्मविश्वास जगाएं, न कि भय का माहौल बनाएं। किसी भी तरह की शिकायत मिलने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- नवीन गुलिया, जिला शिक्षा अधिकारी, सोनीपत
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