गाजियाबाद में स्वच्छता अभियान की पोल खुल गई है। फाइल फोटो
हसीन शाह, गाजियाबाद। गाजियाबाद का जिक्र आते ही विकास की तस्वीरें जेहन में उभर आती हैं। ऊंची इमारतें, नमो भारत ट्रेन, हवाई अड्डा, एलिवेटेड रोड, वायुसेना स्टेशन, मॉल, बाजार और पार्क इसे राज्य के अन्य शहरों से अलग बनाते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता से सेवा अभियान चलाया गया। दैनिक जागरण ने बुधवार को इस अभियान के तहत जमीनी स्तर पर हुए काम की पड़ताल की।
इसकी मुख्य वजह यह सामने आई कि शहर में डंपिंग ग्राउंड न होने के कारण कूड़े की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। नतीजतन, शहर में कई जगहों पर कूड़े के ढेर लगे रहते हैं।
राष्ट्रीय “स्वच्छता ही सेवा“ अभियान 17 सितंबर, यानी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर शुरू किया गया था। यह एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है जिसका उद्देश्य स्वच्छता को बढ़ावा देना है। हालांकि गाजियाबाद में इस अभियान की शुरुआत काफी धूमधाम से की गई, लेकिन यह महज एक औपचारिकता ही साबित हुआ।
दैनिक जागरण की टीम जब आरडीसी रेलवे क्रॉसिंग पर पहुंची तो फुटपाथ पर कूड़े के ढेर लगे मिले। लोग मुंह पर रूमाल बांधकर चल रहे थे। जिला संयुक्त चिकित्सालय रोड पर एएलटी सेंटर के पास सड़क पर कूड़े का ढेर लगा था। आधी सड़क कूड़े से पटी थी, जिससे यातायात बाधित हो रहा था।
कुछ लोग कूड़े के कारण विपरीत दिशा से वाहन पार कर रहे थे। मानव संसाधन विकास केंद्र के पास भी कूड़े का ढेर लगा मिला। नगर निगम वहां कूड़ा उठा रहा था, लेकिन कूड़े की मात्रा इतनी अधिक थी कि उसे उठाने में कई दिन लग सकते थे।
गोविंदपुरम रोड पर कनक फार्म हाउस के पास सड़क किनारे कूड़ा पड़ा मिला, जबकि पास में ही बंद कूड़ाघर है। नंदग्राम में फातिमा कॉन्वेंट स्कूल के पास सड़क किनारे कूड़े के ढेर लगे मिले, जिससे राहगीर कूड़े से बच रहे थे। शहर में कई अन्य स्थानों पर भी कूड़े के ऐसे ही ढेर मिले।nawada-local,jrnrnnrr,Durga Puja immersion,lightning strike,Nawada tragedy,kalash visarjan,Bihar news,accident during festival,rain related accident,Indian festivals,death during festival,jrnrnnrr,Bihar news
600 गाड़ियां कूड़ा उठा रही हैं: नगर निगम रोजाना घर-घर जाकर कूड़ा उठाता है। निगम इस काम के लिए लगभग 600 वाहनों का उपयोग करता है, जबकि 100 से अधिक वाहन कचरे को निपटान केंद्र तक पहुँचाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
निगम ने अत्याधुनिक ट्रांसफर स्टेशन बनाए हैं। इसके बावजूद, कचरा अभी भी सड़कों के किनारे फेंका जा रहा है, जिससे कचरा बर्बाद हो रहा है।
शहरवासी भी ज़िम्मेदार: शहर की कचरा समस्या के लिए नगर निगम के साथ-साथ कुछ नागरिक भी ज़िम्मेदार हैं। लोग गीला और सूखा कचरा अलग-अलग नहीं करते। वे मिश्रित कचरा निगम के वाहनों में डाल देते हैं।
निगम ने जगह-जगह कूड़ेदान रखवाए हैं। सूखे और सूखे कचरे के लिए अलग-अलग डिब्बे दिए गए हैं, लेकिन लोग नियमों की अनदेखी करते हुए गीले और सूखे कचरे को एक ही डिब्बे में मिला देते हैं। कुछ लोग कहीं भी कचरा फेंक देते हैं। ऐसे में लोगों को जागरूक होने की ज़रूरत है।
- नगर निगम ने जनता से ₹4.92 करोड़ उपयोगकर्ता शुल्क (कचरा कर) वसूला।
- केवल एक महीने में जनता से ₹8.2 मिलियन उपयोगकर्ता शुल्क वसूला गया।
- लगभग 5,500 सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं।
- लगभग 600 वाहन घर-घर जाकर कचरा एकत्र कर रहे हैं।
- 100 से अधिक बड़े वाहन कचरा निपटान केंद्र तक पहुंचाते हैं।
- शहर में प्रतिदिन औसतन 1,200 से 1,500 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है।
बारिश के कारण कचरा संग्रहण में समस्याएँ आईं। कचरा निपटान संयंत्र में भी कुछ तकनीकी समस्याएं आईं। इन सभी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। कचरे की समस्या का जल्द ही समाधान कर दिया जाएगा।
-विक्रमादित्य सिंह मलिक, नगर आयुक्त
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