अब गांव की सरकार बनाने के लिए गांवों का माहौल चुनावी बना। सांकेतिक तस्वीर
संवाद सूत्र, दिघवारा (सारण)। बिहार विधान सभा चुनाव संपन्न होने के बाद नई सरकार का गठन हो गया। इसी के साथ अगले साल होने वाले गांव की सरकार यानि पंचायत चुनाव को लेकर गांवों का माहौल चुनावी हो गया है। जिला परिषद सदस्य, मुखिया, सरपंच, बीडीसी सहित वार्ड सदस्य व ग्राम कचहरी पंच पद के लिए संभावित उम्मीदवारों ने दावेदारी व तैयारी शुरू कर दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इन पदों पर आरक्षण कोटी में बदलाव की संभावना को लेकर वैसे संभावित उम्मीदवार तैयारियों व प्रचार प्रसार में जुट गए हैं। हालांकि, इस बारे में अभी तक सरकार से कोई दिशा निर्देश जारी नहीं हुआ है।
इतना जरुर है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दस वर्षो पर आरक्षण कोटी लागू किया जाता है। विदित हो कि 1978 में सूबे में पंचायत चुनाव होने के 23 सालों बाद 2001 में पंचायत चुनाव हुए थे। उसके बाद आरक्षण नीति के तहत 2006 और 2011 में पंचायत चुनाव हुए।
इस बार आरक्षण रोस्टर की स्थिती में परिवर्तन की काफी चर्चा हो रही है। प्रखंड के गांवों में सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं। चल रही चुनावी चर्चाएं सिर्फ पुरुषों तक सीमित नहीं है बल्कि महिलाएं भी दिलचस्पी ले रही हैं।
प्रखंड के मलखाचक निवासी मंजू देवी का कि वह विकास करने वाले व्यक्ति को वोट देगी। चुनाव के समय उम्मीदवार मतदाताओं को तमाम सपने दिखाते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद अपेक्षा के अनुरूप में विकास नहीं होता है।
अबकी बार गांव के विकास की बात करने वाले को ही वोट दिया जाएगा। शीतलपुर की अनीता देवी का कहना है कि वह शिक्षित उम्मीदवार को वोट देगी। शिक्षित उम्मीदवार जिला स्तर पर संचालित योजनाओं को गांव में ला सकते हैं, जिससे गांव के विकास को पंख लगा सकते हैं।
मानुपुर की ज्योति सिंह का कहना है कि वह ऐसे व्यक्ति को चुनाव में वोट देगी जो उनके सुख-दुख में काम आने वाला हो। कई बार चुनाव जीतने के बाद लोग मतदाताओं को भूल जाते हैं।
झौवां के गीता देवी का कहना है कि वह इस बार बहुत सोच समझकर वोट देगी क्योंकि गलत वोट गांव तथा क्षेत्र के विकास में बाधा बनता है। वह शिक्षित तथा कर्मठ प्रत्याशी को वोट देगी। |