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क्यों गूंजी लंदन की संसद में ऋषि वशिष्ठ की पुत्री गोमती की कहानी? जानें शिप्रा पाठक ने भारत के लिए क्या कहा

LHC0088 2025-11-22 03:37:41 views 936

  

लंदन की संसद में अपनी बात रखतीं भारत की वाटर वुमन श‍िप्रा पाठक



जागरण संवाददाता, पीलीभीत। ऋषि वशिष्ठ की पुत्री वेद, पुराणों, वाल्मीकि रामायण, रामचरित मानस समेत पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में वर्णित गोमती नदी को अवध की शान और प्रदेश की राजधानी लखनऊ की लाइफ लाइन माना जाता है। जिले के माधोटांडा स्थित उद्गम स्थल से लेकर गाजीपुर जिले के सैदपुर में गंगा में विलीन होने तक गोमती नदी करीब 960 किलोमीटर का सफर करती हैं, जो शाहजहांपुर, लखीमपुर, सीतापुर, लखनऊ, सुल्तानपुर, गाजीपुर समेत 15 जिलों के गांवों को जीवनदायिनी के रूप में बहती हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पुराणों में वर्णित इस नदी के बारे में देश की प्रसिद्ध पर्यावरणविद, वाटर वुमन और पंचतत्व फाउंडेशन की संस्थापक शिप्रा पाठक ने ब्रिटेन की संसद में भारतीय जल संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण के संदेश को ऐतिहासिक रूप से प्रस्तुत किया। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के अनुज लक्ष्मण जी की ओर से बसाई गई लखनपुर (लखनऊ) नगरी को स्पर्श कराने वाली गोमती नदी का उद्गम स्थल जिले की कलीनगर तहसील क्षेत्र के राजस्व गांव माधोटांडा में गाटा संख्या 980 से होता है, जिसे गोमत सरोवर, गोमत ताल और फुल्हर झील भी कहा जाता है।

उद्गम स्थल से शाहजहांपुर जिले की सीमा तक 47.2 किलोमीटर बहाव क्षेत्र है, जो पूरनपुर और कलीनगर के 16 गांवों माधोटांडा, हरिपुर फुलहर, नवदिया धनेश, देवीपुर, सबलपुर, रम्पुरा फकीरे, उदयकरनपुर, शेरपुर मकरंदपुर, कल्याणपुर, शहबाजपुर, गोपालपुर, अजीतपुर विल्हा, टांडा, सुन्दरपुर, सिकरहना और पिपरिया मझरा से होते बहती है। तराई का यह जिला गोमती नगरी के रूप में भी प्रसिद्ध है और पौराणिक, एतिहासिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं नैसर्गिक महत्व के विरासत को संजोये हुए हैं।

मोक्षदायिनी व पतित पावनी मां गंगा में मिलने वाली गोमती नदी की दिव्यता से शिप्रा पाठक संसद को परिचित कराया। साथ ही उन्होंने चेताया कि बढ़ता जल संकट आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है, इसलिए विश्व को एकजुट होकर प्रयास करना होगा। उन्होंने भारत की तीन प्रमुख नदियों का विशेष उल्लेख किया, जिसमें नर्मदा, गोमती और गंगा हैं।

उन्होंने नर्मदा को मध्य भारत की पवित्र पर्यावरणीय रीढ़, गंगा को आध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक निरंतरता की वाहक, जबकि गोमती को उत्तर प्रदेश की प्राचीन धरोहर और जीवनधारा बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति नदियों को केवल जल स्रोत नहीं, बल्कि जीवित इकाई मानकर उनकी पूजा करती है।

सत्र के बाद ब्रिटिश सांसदों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने शिप्रा पाठक के कार्यों को अत्यंत प्रेरणादायक बताते हुए भारत के नदी पुनर्जीवन माडल की सराहना की। शिप्रा को लंदन की संसद के दोनों सदनों में भारत की ओर से आमंत्रित वक्ता के रूप में सम्मानित किया गया। वह लंदन की थेम्स नदी के संरक्षण माडल का अध्ययन करेंगी और ब्रिटेन के पर्यावरण विशेषज्ञों के साथ नदी संवाद में भाग लेंगी। वह लंदन की मेयर से शिष्टाचार भेंट भी करेंगी और शहर के महत्वपूर्ण पर्यावरणीय स्थलों का अवलोकन करेंगी।
जानें कौन हैं वाटर वूमन शिप्रा पाठक

उत्तर प्रदेश के बदायूं जनपद के दातागंज निवासी शिप्रा पाठक की पर्यावरण यात्रा अद्वितीय रही है। उन्होंने 13,000 किलोमीटर पैदल चलकर देशभर में 55 लाख पौधों का रोपण कराया और लाखों नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण के लिए आंदोलित किया। उनके नेतृत्व में पंचतत्व फाउंडेशन ने नदी पुनर्जीवन को जनभागीदारी आधारित अभियान का स्वरूप दिया। इन्हीं उल्लेखनीय कार्यों के आधार पर ब्रिटिश संसद ने उन्हें विशेष रूप से आमंत्रित किया।

  

यह भी पढ़ें- करोड़ों खर्च के बाद भी बदहाल गोमती! पीलीभीत में अधिकारी साधे चुप्पी, अस्तित्व की जंग लड़ रही \“लखनऊ की लाइफ लाइन\“
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