deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Jharkhand News: हाय री प्रशासनिक व्यवस्था, बच्चियां जाना चाहती हैं लेकिन नहीं भेजा जा रहा घर, चीफ जस्टिस ने जताई नाराजगी

LHC0088 2025-11-21 14:37:44 views 907

  

हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान प्रेमाश्रय का औचक निरीक्षण कर बच्चियों की समस्याएं सुनीं।



राज्य ब्यूरो, जागरण. रांची । हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान प्रेमाश्रय (नाबालिग लड़कियों का गृह) का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने संस्थान की कार्यप्रणाली, रहने-खाने की व्यवस्था तथा बच्चों की भलाई से संबंधित सभी पहलुओं की समीक्षा की। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस दौरान चीफ जस्टिस ने गृह में रहने वाली सभी बच्ची से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनी। इसके बाद उन्होेंने अधिकारियों को कई दिशा-निर्देश भी दिए। इस दौरान कई लड़कियों ने अपने घर वापस जाने की इच्छा व्यक्त की। लेकिन प्रशासनिक औपचारिकताओं के कारण कई बच्चियां अब भी घर नहीं जा पा रही हैं।

चीफ जस्टिस ने कहा कि जब बच्ची स्वयं घर जाना चाहती है और उसके माता-पिता उसे लेने के लिए तैयार हैं, तो फिर उन्हें जटिल प्रशासनिक प्रक्रिया से क्यों गुजरना पड़ रहा है। उन्होंने निर्देश दिया कि ऐसी स्थितियों में प्रक्रिया सरल और शीघ्र होनी चाहिए।

कुछ बच्चियां अपने घर या स्वजनों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाईं, जिससे उनके परिवार को खोज करने की प्रक्रिया आवश्यकता महसूस हुई। निरीक्षण के दौरान भोजन और अन्य मूलभूत सुविधाएं संतोषजनक पाई गईं। चीफ जस्टिस ने बच्चियों के लिए तैयार भोजन भी चखा। स्वच्छता, सुरक्षा और व्यवस्थाओं के लिए गृह की अधीक्षक की सराहना भी की गई।

इस दौरान डालसा सचिव ने चीफ जस्टिस को विशेष आवश्यकता वाली बच्चियों को रखने में आने वाली कठिनाइयों से अवगत कराया, क्योंकि रांची इस समय ऐसे बच्चों के लिए कोई समर्पित संस्थान नहीं है। चीफ जस्टिस ने इस संबंध में विस्तृत प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया।

चीफ जस्टिस ने डालसा सचिव को निर्देश दिया गया कि वे महिला अधिकारियों की एक टीम गठित करें जो प्रत्येक बच्ची से व्यक्तिगत रूप से वार्ता कर उनकी समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करे। जिला बाल संरक्षण अधिकारी को निर्देश दिया किया गया कि वे बच्चों की पुनर्वास प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब न करें।

जिन मामलों में अभिभावक उपलब्ध नहीं हैं, वहां बच्चियों को समयबद्ध तरीके से फास्टर केयर या अन्य उपयुक्त विकल्प में भेजने की व्यवस्था करें। इस दौरान हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल एसके सिन्हा, जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के सदस्य, रांची कोर्ट के जज, सहित अन्य न्यायिक अधिकारी मौजूद रहे।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1210K

Credits

Forum Veteran

Credits
122747
Random