शपथ लेने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री और उनका मंत्रिमंडल
जागरण संवाददाता, बांका। बिहार में नई सरकार का गठन और मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण गुरुवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में पूरा हो गया। एनडीए ने पहली बार बांका में विरोधी दलों का क्लीन स्वीप कर सभी पांच सीटें जीत लिया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सबको उम्मीदें थी कि हर बार की तरह बांका इस बार भी मंत्रिमंडल में जरूर शामिल होगा। पांच में से किसी ना किसी विधायक को निश्चित रूप से इसमें जगह मिल जाएगी। पिछली सरकार में अमरपुर से जदयू विधायक जयंत राज पूरे पांच साल मंत्री रहे थे।
इस बार भी उनके विधायक बनने पर मंत्री बनने की संभावना जतायी जा रही थी। जदयू ने अपने कोटे के अधिकांश मंत्रियों को दुबारा अवसर दिया, लेकिन जयंत राज इसमें चूक गए।
पिछली सरकारों में भाजपा विधायक रामनारायण मंडल भी मंत्री बने थे। वे पशुपालन, मत्स्य पालन के बाद राजस्व मंत्रालय भी देख चुके हैं। भाजपा कोटे से वरिष्ठ विधायक रामनारायण मंडल का भी नाम मंत्री बनने में चर्चा में था। मगर भाजपा के वैश्य कोटा का मंत्री दूसरे के पास चला गया।
इसके पूर्व भी राजद से जदयू में आने पर विधान पार्षद बनाकर डा जावेद इकबाल अंसारी को राज्य का पर्यटन मंत्री बनाया गया था। बांका में मंत्रिमंडल की कहानी यहीं नहीं रुकती है।
लालू सरकार में भी डॉ. जावेद इकबाल अंसारी और डॉ. सुरेंद्र सिंह कुशवाहा मंत्री बने थे। इससे पहले के नामों में जनार्दन यादव, गुणेश्वर सिंह, राघवेंद्र सिंह भी बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
बांका के विधायक चंद्रशेखर सिंह 1983 में बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इस बार बड़ी सफलता के बाद भी जिला को मंत्रालय नहीं मिलने पर एनडीए कार्यकर्ताओं में मायूसी है।
जदयू के साथ भाजपा के कार्यकर्ताओं का जोश भी थोड़ा कम हुआ है। अब सभी को मंत्रिमंडल का विस्तार होने पर बांका को जगह मिलने की संभावना जता रहे हैं।
हालांकि, कार्यकर्ताओं का एक वर्ग पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद पुतुल कुमारी की पुत्री श्रेयसी सिंह के खेल व कला-संस्कृति मंत्री बनने पर खुश हैं। उन्होंने शाम में गांधी चौक पर आकर आतिशबाजी की और मिठाई बांटी है। |