जागरण संवाददाता, लखनऊ । सिटी बसों में कार्यरत रहे 500 से अधिक कंडक्टरों को परिवहन निगम में सेवा करने का अवसर मिलेगा। सिटी बसों का संचालन बंद होने से अधिकांश कंडक्टर बेरोजगारी का शिकार थे, परिवहन निगम के इस कदम से सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी की समस्या खत्म होगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
2009 में नगरीय विकास विभाग के अधीन विभिन्न महानगरों में महानगर परिवहन सेवा की स्थापना करके सीएनजी व डीजल बसों का संचालन शुरू किया गया था। वाहनों के संचालन की जिम्मेदारी निगम के अधिकारियों व पर्यवेक्षकों की थी।
एमडी परिवहन निगम प्रभु नारायण सिंह ने बताया, निगम स्तर पर तय व्यवस्था के अनुसार ही कंडक्टरों को रखा जाता था। यह किसी सेवाप्रदाता के माध्यम से नहीं रखे गये थे, सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड में संचालित बसों की आयु पूरी हो जाने के कारण उनका संचालन बंद हो गया है, बसें नीलाम हो रही हैं।
ऐसे में लगभग 15 वर्ष से अधिक कंडक्टर के अनुभव को देखते हुए उन्हें निगम स्तर पर निर्धारित शर्तों के अधीन पुनः रखा जाना तर्कसंगत पाया गया। इस निर्णय से परिवहन निगम को लाभ होगा और कंडक्टरों की कमी दूर होगी।
सिंह ने बताया, नगरीय विकास विभाग की विभिन्न महानगरों में महानगरीय परिवहन सेवाओं में कार्यरत संविदा कंडक्टर जो पूर्व में परिवहन निगम से सीधे रखे गए थे व जिनकी प्रतिभूति राशि निगम में जमा हुई है। ऐसे संविदा कंडक्टर यदि निगम में अपनी सेवाएं देना चाहते हों तो पुनः निगम स्तर पर रखा जाएगा।
कंडक्टरों के पास वैध परिचालक लाइसेंस हो, उनके विरुद्ध कोई अनुशासनिक प्रकरण, विधिक वाद लंबित न हो तथा कंडक्टरों की अनुबंध अवधि खंडित न हो। उनके पास इंटरमीडियट की योग्यता के साथ केंद्र या राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थाओं से सीसीसी कंप्यूटर प्रमाण पत्र की अर्हता रखते हों।
जिन कंडक्टरों के पास केंद्र या राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थाओं का सीसीसी प्रमाणपत्र नहीं है, उन्हें उक्त प्रमाण पत्र के लिए प्रथम चरण में छह माह का समय दिया जाएगा। एमडी ने बताया कि कंडक्टरों की वरिष्ठता निगम में नवीन अनुबंध होने के बाद कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से मानी जाएगी। |