राज्य ब्यूरो, लखनऊ। वर्ष 2047 तक उत्तर प्रदेश को विकसित बनाने के सरकार के लक्ष्य को साकार करने के लिए पूरे समाज को सशक्त बनाने के लिए नौ विभाग मिलकर काम करेंगे। महिला, दिव्यांग, अनुसूचित जाति-जनजाति व पिछड़ा वर्ग, बुजुर्ग और बच्चे व युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। उ विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
नको स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल आदि के सहारे सक्षम बनाया जाएगा, जिससे वे भी राज्य को विकसित बनाने में योगदान दे सकें। बुधवार को समाज कल्याण विभाग की हितधारक कार्यशाला में इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए रणनीति पर चर्चा की गई। विभागों ने अपनी प्राथमिकताएं और सुझाव साझा किए।
भागीदारी भवन में आयोजित कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण विभाग एल. वेंकटेश्वर लू ने कहा कि विजन 2047 केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि समाज केंद्रित बदलाव का संकल्प है। हमारा लक्ष्य है कि प्रत्येक कमजोर वर्ग महिलाएं, दिव्यांगजन, वरिष्ठ नागरिक, बच्चे, अल्पसंख्यक और ट्रांसजेंडर समुदाय तक नीतियों का लाभ तेजी और समानता के साथ पहुंचे।
इसके लिए समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार, पिछड़ा वर्ग कल्याण, दिव्यांगजन सशक्तीकरण, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, युवा कल्याण और खेल विभाग समन्वय से काम करेंगे। डिलाइट संस्था की स्वाती अग्रवाल ने विकसित उप्र-2047 के विजन की प्रस्तुति दी।
उन्होंने दिव्यांगजन, एससी-एसटी व अल्पसंख्यक समुदाय, बच्चों-युवाओं, वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिए नवाचार आधारित योजनाओं पर चर्चा की। प्रदेश में लिविंग होम माडल, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कौशल प्रशिक्षण, ट्रांसजेंडर फेलोशिप, उद्यमिता को बढ़ावा और सीएसआर फंड्स के जरिए खेलों के विस्तार जैसे सुझाव दिए।
कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव महिला एवं बाल विकास लीना जौहरी, प्रमुख सचिव पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग सुभाष चंद्र शर्मा, प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग रणवीर प्रसाद, निदेशक समाज कल्याण कुमार प्रशांत, नीति आयोग के संयुक्त सचिव केएस रेजिमों, प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण संयुक्ता सम्मदर और सचिव युवा कल्याण एवं खेल विभाग सुहास एलवाई आदि ने भी विचार रखे।
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