हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव पर संग्राम छिड़ गया है। प्रतीकात्मक फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकाय चुनावों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया में देरी पर उपायुक्तों की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा था। कुछ उपायुक्तों ने उत्तर दिया कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू होने के कारण चुनाव संबंधी कार्य नहीं कर पाए। मतदाता सूची का प्रकाशन और चुनावी सामग्री के उठाने में भी इसी कारण देरी हुई है।
बुधवार को उपायुक्तों के उत्तर प्राप्त होने के बाद, राज्य निर्वाचन आयुक्त अनिल खाची ने मुख्य सचिव संजय गुप्ता को पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने मुख्य सचिव से पूछा कि प्रदेश में वर्षा का दौर समाप्त हो चुका है और स्थिति सामान्य हो गई है। ऐसे में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट को कब समाप्त किया जाएगा? विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मुख्य सचिव के जवाब के बाद आगामी कार्रवाई करेगा आयोग
आयोग इसके बाद ही चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा। मुख्य सचिव के उत्तर के बाद ही इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी। राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत और शहरी निकाय चुनाव की तैयारियों से संबंधित रिपोर्ट राज्यपाल को प्रस्तुत करेगा। राज्यपाल पिछले कुछ दिनों से राज्य से बाहर हैं और वीरवार सायं शिमला लौट रहे हैं।
बैठक में नहीं आए थे अधिकारी
राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनावों की तैयारियों के सिलसिले में सचिव स्तर के अधिकारियों की मंगलवार को बैठक बुलाई थी, जिसमें अधिकारी अनुपस्थित रहे। निर्वाचन आयोग ने उपायुक्तों को चुनावी सामग्री और बैलेट पेपर उठाने के निर्देश दिए थे, लेकिन उपायुक्तों ने यह सामग्री भी नहीं उठाई। चुनाव के प्रति तत्परता न दिखाने पर आयोग ने जिलाधीशों की कार्यशैली पर नाराजगी व्यक्त की।
55 में से 42 स्थान के लिए हैं वैकल्पिक सड़कें
प्राकृतिक आपदा के चलते सड़कों के बंद होने का तर्क दिया गया है। आयोग ने जिलों से इस पर रिपोर्ट मांगी। इसमें पूछा गया था कि उनके जिला में कितनी सड़के बंद है। करीब 55 सड़के बंद बताई गई थीं। इसको लेकर लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता से अलग से रिपोर्ट मांगी गई। विभाग ने कहा है कि 55 में से 42 के करीब सड़कें ऐसी है जो वैकल्पिक मार्ग से जुड़ी है। यानी वहां जाने के लिए दूसरी सड़क भी हैं। यहां के लिए पैदल भी आया जा सकता है। मुख्य सड़क कोई भी बंद नहीं है।
हिमाचल सरकार भी ले रही कानूनी सलाह
हिमाचल सरकार आयोग के इस फैसले को लेकर सरकार के स्तर पर भी मंथन शुरू हो गया है। सरकार भी इस पर कानूनी राय ले रही है। आयोग का तर्क है कि यदि अब पुनर्गठन व पुनर्सीमांकन किया जाता है तो वोटर लिस्ट नए सिरे से बनानी पड़ेगी। सीमाएं बदल जाती है। सरकार तर्क दे रही है कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू होने की वजह से पंचायतों व वार्डों का पुनर्गठन नहीं हो पाया था।
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ये उठ रहे सवाल
चुनाव में देरी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। जो जिले प्राकृतिक आपदा का तर्क दे रहे हैं वहां पर शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई हो रही है। मेले, अन्य तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। चुनाव के लिए ही प्राकृतिक आपदा का तर्क दिया जा रहा है।
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