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Bihar: जीरो टोलरेंस, विकास या मह‍िला उत्‍थान; क्‍या रही Nitish Kumar की USP? यहां पढ़ें

Chikheang 2025-11-20 02:42:57 views 262

  

बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार। जागरण  



भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। CM Nitish Kumar की यूएसपी महिलाओं के उत्थान से जुड़ी योजनाएं व आधारभूत संरचनाओं की प्राथमिकता रही है।

विधि-व्यवस्था को लेकर जीरो टाेलरेंस की नीति की वजह से भी वह लोगों की पसंद बने। इस बार के मतदान के दौरान बूथों पर महिलाओं की लंबी कतार दिखी।  

भले ही यह कहा जा रहा कि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत जीविका दीदियों को मिले 10,000  रुपए का यह असर था।  

पर अतीत में महिलाओं के लिए उनके द्वारा किए गए काम का भी अभी तक असर है। महिलाएं अब नीतीश कुमार के वोट बैंक के रूप मेंं समझी जाने लगी हैं।
दिन ढलते घर से नहीं न‍िकलती थीं मह‍िलाएं

नीतीश कुमार कहते हैं कि बिहार में यह स्थिति थी कि 2005 के पहले महिलाएं घर की चहारदीवारी से बाहर नहीं निकल पातीं थीं।

शाम छह बजे के बाद महिलाओं का निकलना बिल्कुल ही असुरक्षित माना जाता था। अभिभावक लड़कियों को स्कूल-कॉलेज भेजने से डरते थे।

वह कहते हैं कि जब 24 नवंबर 2005 को बिहार में नई सरकार का गठन हुआ तो हमलोगों ने महिला शिक्षा व उनके विकास के लिए काम करना शुरू किया।

उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कदम उठाए गए। आज स्थिति यह है कि महिलाएं अपनी मेहनत से आत्मनिर्भर बन रही हैं।

महिलाओं को राजनीतिक रूप से सशक्त करने के लिए नीतीश कुमार ने 2005 में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान किया।
विभ‍िन्‍न क्षेत्रों में दिए आरक्षण

इसके अगले वर्ष 2007 में नगर निकायों के विभिन्न पदों के लिए होने वाले चुनाव में भी महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्‍यवस्‍था की।

आरंभ में मुखिया पति का ट्रेंड था पर अब महिलाएं राजनीतिक रूप से बिहार में काफी सशक्त हो गई हैं। इसके बाद 2013 में पुलिस की बहाली में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया।

2016 में सभी सरकारी नौकरियों में राज्य की महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई।

महिलाओं ने देखा कि नीतीश उनकी बेटियों के लिए केवल स्कूल ड्रेस व साइकिल की व्यवस्था ही नहीं कर रहे बल्कि उनके लिए नौकरियों में खास अवसर भी सृजित कर रहे हैं।
महि‍लाओं में विकास पुरुष की बनी छवि

इन सबों को महिलाओं के बीच नीतीश कुमार यह छवि बन गई कि वह उनके उत्थान की बात सोच ही नहीं रहे बल्कि उसे क्रियान्वित भी कर रहे।

महिला स्वयं सहायता समूह के तहत जीविका दीदियों के लिए जिस तरह से काम हुआ वह दूसरे राज्यों के लिए अनुकरणीय बन गया।

आज बिहार में 1.40 करोड़ जीविका दीदियां अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रहीं। महिला उद्यमी योजना की भी चर्चा होती है।
बिजली के क्षेत्र में व्‍यापक बदलाव

आधारभूत संरचना के क्षेत्र में केवल सड़क ही नहीं है। बिजली की उपलब्धता का जिक्र भी खूब होता है। 2005 के पहले बिहार में बिजली की अधिकतम आपूर्ति 700 मेगावाट थी।

वर्ष 2005 में राज्य में बिजली की प्रति व्यक्ति खपत केवल 75 यूनिट थी। अब बिहार में बिजली की अधिकतम आपूर्ति 7000 मेगावाट हो गई है।

प्रति व्यक्ति बिजली की खपत पांच गुना से भी ज्यादा बढ़कर 363 मेगावाट हो गई है। ग्रिडाें की संख्या बढ़कर 172 हो गयी है।
पुल व सड़कों का ब‍िछा जाल

सड़कों की स्थिति यह थी कि 2005 से पहले बिहार में गंगा नदी पर चार पुल, कोसी पर दो, गंडक पर चार, और सोन नदी पर दो पुल थे।

अब 20 नए बड़े पुल बन गए हैं। बड़ी संख्या में फाेर लेन सड़कों का निर्माण किया गया। नीतीश कुमार की चर्चा इस बात को लेकर भी लोगों के बीच होती रही है कि वह लगातार यात्राओं के माध्यम से लोगों के बीच पहुंचकर योजनाओं का क्रियान्वयन देखते रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

हाल की प्रगति यात्रा में उन्होंने बड़ी संख्या में नयी योजनाओं को अनुमति दी।
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