गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट ने कमिश्नरेट कोर्ट मॉनिटरिंग सिस्टम (सीसीएमएस) शुरू किया है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। विभिन्न पुलिस अदालतों में लंबित मुकदमों की स्थिति जानने के लिए अब एसीपी या डीसीपी कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी। पुलिस कमिश्नर ने सोमवार को कमिश्नरेट कोर्ट मॉनिटरिंग सिस्टम (सीसीएमएस) का शुभारंभ किया। जन-केंद्रित दृष्टिकोण के तहत कमिश्नरेट पुलिस ने पिछले छह महीनों में जनसुविधा के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिनका जनता को लाभ मिल रहा है। क्यूआर कोड के जरिए सीसीएमएस पोर्टल पर सीधे अपडेट भी प्राप्त किए जा सकते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पुलिस कमिश्नर जे. रविंदर गौड़ ने सोमवार को पुलिस लाइंस में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि अब पीड़ितों को बीएनएसएस पुलिस अदालतों सहित गुंडा एक्ट और गैंगस्टर एक्ट के मुकदमों की वर्तमान स्थिति जानने के लिए एसीपी या डीसीपी कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी। सीसीएमएस प्रणाली न्याय वितरण प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी, जिससे पारदर्शिता और नागरिक सुविधा को बढ़ावा मिलेगा।
इस पहल के माध्यम से, गाजियाबाद पुलिस का उद्देश्य जनता की भागीदारी बढ़ाना और न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास पैदा करना है। उन्होंने बताया कि अप्रैल में एक सिटीजन चार्टर जारी किया गया था, जिसके तहत विभिन्न अभियान चलाए गए। एफआईआर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रतियां घरों तक पहुंचाई जा रही हैं। कुल 5,631 एफआईआर घरों तक पहुँचाई गईं। एक फीडबैक सेल का गठन किया गया, जिसने कुल 56,231 फीडबैक एकत्र किए।
39 नकारात्मक फीडबैक प्राप्त होने पर, संबंधित पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की गई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से थाने आने वाले फरियादियों की अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई और समाधान किया जा रहा है। नागरिकों और पुलिस के बीच की दूरी को कम करने के लिए शिष्टाचार की नीति अपनाई गई है। इस पहल के तहत, सप्ताह के प्रत्येक बुधवार को थाने में वादी संवाद दिवस आयोजित किया जाता है।
थाने आने वाले सभी नागरिकों के लिए आगंतुक कक्षों का निर्माण किया जा रहा है। इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आलोक प्रियदर्शी, केशव कुमार चौधरी, डीसीपी सिटी धवल जायसवाल, डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल और डीसीपी ट्रैफिक त्रिगुण बिसेन भी उपस्थित थे।
पुलिस अदालतों में फर्जी जमानत पर लगेगी रोक: सीसीएमएस प्रणाली के सभी न्यायालयों में सब कुछ ऑनलाइन हो जाने से भविष्य में फर्जी जमानत पर अंकुश लगेगा। यह प्रणाली किसी भी अदालत में बार-बार जमानत दाखिल करने से व्यक्तियों को रोकने में मदद करेगी। ज़मानत बांड की निगरानी करके, यह प्रणाली झूठी ज़मानत से संबंधित समस्याओं को रोकने और उनका समाधान करने में मदद करेगी। |