सेक्टर 52 की ग्रीन बेल्ट में काफी घास उगी है। कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़। चंडीगढ़ को गार्डन ऑफ सिटी कहा जाता है। इसे इसी थीम पर बसाया गया था, लेकिन सिटी के फेफड़े कही जाने वाली ग्रीन बेल्ट अनदेखी की वजह से खुद बीमार है।
चंडीगढ़ में छोटे-बड़े पार्क और ग्रीन बेल्ट की संख्या 1800 है। प्रत्येक तीन से चार घर की दूरी पर एक नेबरहुड पार्क आ जाता है। ग्रीनरी और गार्डन की इसी खूबसूरती ने चंडीगढ़ को सिटी ब्यूटीफुल बनाया।
यहां के पार्कों को भी थीम बेस्ड डेवलप किया गया। 1700 से अधिक गुलाबों की किस्मों को समेटे सेक्टर-16 के गार्डन को जाकिर हुसैन रोज गार्डन नाम दिया गया। सेक्टर-33 के टैरेस्ड गार्डन को इस तरह तैयार किया गया कि यहां हर साल गुलदाऊदी फूलों का मेला लगाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसी तरह से बेंबू वैली, जापानी गार्डन, कैक्टस गार्डन और इसी तरह से और भी गार्डन अलग-अलग खासियत समेटे हैं। लेकिन दुख तब होता है जब चंडीगढ़ के यही गार्डन अनदेखी का शिकार होकर अपनी पहचान खो रहे हैं।
जो ग्रीन बेल्ट चंडीगढ़ के लिए फेफड़ों की तरह काम करने को डेवलप की गई थी। अब वह खुद अनदेखी की वजह से बीमार नजर आने लगी हैं। खासकर सदर्न सेक्टरों में यह अनदेखी ज्यादा है।
सेक्टर-50 कम्युनिटी सेंटर के पीछे की ग्रीन बेल्ट का हाल देख आपकी हिम्मत नहीं होगी इसमें प्रवेश करने की। ग्रीन बेल्ट में एंट्री द्वार तो बने हैं, लेकिन अंदर पांच से छह फीट ऊंची घास खड़ी है। उसमें बड़ी संख्या में पशु चरते मिलते हैं। एंट्री द्वार के बाद आप एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकते।
स्थानीय लोग पार्क की हालत सुधारने की शिकायतें नगर निगम अधिकारियों को बार बार कर थक चुके हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। सेक्टर-50 निवासी सुरिंद्र वर्मा ने बताया कि कम्युनिटी सेंटर के पीछे जो ग्रीन बेल्ट बनी है।
उसकी हालत देखकर दंग रह जाएंगे कि यह भी चंडीगढ़ है। चंडीगढ़ में एक तरफ रोज गार्डन और सेक्टरों के थीम बेस्ड पार्क हैं। वहीं सदर्न सेक्टरों के पार्कों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। कई बार शिकायत के बाद भी कोई पार्क की घास तक साफ करने नहीं आता।
लोगों का आरोप है कि शुरुआती सेक्टरों में साफ-सफाई का खूब ध्यान दिया जाता है लेकिन सेक्टर-30 से आगे के सेक्टरों की कोई सुध ही नहीं लेता।
चंडीगढ़ में कई मायनों में लोगों के साथ भेदभाव होता है। फिर चाहे वह सफाई व्यवस्था रखरखाव हो या सुविधाएं। सदर्न सेक्टरों को शुरुआती सेक्टरों की तरह वरियता नहीं दी जाती। उनके पार्कों की रेगुलर सफाई नहीं होती। शिकायतों के बाद काम होते हैं। सबको समान समझते हुए काम होना चाहिए।
-जसबीर सिंह बंटी, सीनियर डिप्टी मेयर, चंडीगढ़। |