जाकिर अली, छपरा। सारण की राजनीति में एक बार फिर ‘प्रभुनाथ फैक्टर’ पूरी मजबूती से उभरकर सामने आया है। एनडीए के साथ आया यह तालमेल पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के परिवार के लिए बेहद फलदायी साबित हुआ है। विधानसभा चुनाव के ताजा नतीजे इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्रभुनाथ सिंह का प्रभाव अभी भी सारण की राजनीति में गहराई तक बना हुआ है। उनके पुत्र, भाई और समधी—तीनों ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जीत दर्ज कर राजनीतिक वर्चस्व को और मजबूत किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सबसे चर्चित जीत मांझी सीट से रणधीर सिंह की रही। रणधीर ने महागठबंधन के उस मजबूत गढ़ को भेद दिया, जिसे पार पाना पहले मुश्किल माना जा रहा था। चुनाव के दौरान यह चर्चा तेज थी कि मैदान में एक मजबूत निर्दलीय उम्मीदवार की मौजूदगी रणधीर के वोटों में सेंध लगा सकती है, लेकिन सभी अटकलों को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने सहज बढ़त बनाई और अंततः निर्णायक अंतर से जीत अपने नाम की। इस जीत ने रणधीर की राजनीतिक क्षमता और प्रभुनाथ सिंह परिवार की पकड़ दोनों को फिर साबित कर दिया है।
वहीं, बनियापुर से केदारनाथ सिंह ने भी पार्टी और परिवार की उम्मीदों पर पूरी तरह खरा उतरते हुए एनडीए को मजबूत जीत दिलाई। राजद के निवर्तमान विधायक रहे केदारनाथ सिंह ने परिवार के साथ अपनी राजनीति की दिशा बदली थी। इस बार बीजेपी ने उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा। नतीजा यह रहा कि उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी चांदनी देवी को बड़े अंतर से शिकस्त देकर सीट पर कमल खिलाया और अपनी राजनीतिक हैसियत और संगठन में पकड़ दोनों को मजबूत किया।
उधर, सोनपुर सीट से प्रभुनाथ सिंह के समधी तथा रणधीर सिंह के ससुर विनय सिंह ने भी शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने विशाल जनसमर्थन के साथ विजय हासिल की और इसके बाद पटना के लिए रवाना हुए। इस प्रकार एक ही चुनाव में प्रभुनाथ सिंह के परिवार के तीन प्रमुख सदस्यों की जीत ने सारण की राजनीति में उनके प्रभाव को और पुख्ता कर दिया है।
इन चुनाव नतीजों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रभुनाथ सिंह का राजनीतिक प्रभुत्व अब भी बरकरार है और एनडीए के साथ आने से उनकी ताकत पहले से और अधिक सुदृढ़ हुई है। |