LHC0088 • 2025-11-14 20:06:39 • views 737
जागरण संवाददाता, मेरठ। हापुड़ रोड से दिल्ली रोड होते हुए दिल्ली-दून बाईपास तक रिंग रोड तब बनेगी जब इसके लिए जमीन खरीद ली जाएगी। अभी यही स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि भूमि खरीद कौन सा विभाग करेगा। मेडा और पीडब्ल्यूडी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसे देखते हुए अब ऊर्जा राज्यमंत्री व क्षेत्रीय विधायक ने हस्तक्षेप किया है। उन्होंने कमिश्नर को पत्र लिखकर मांग रखी है कि भूमि खरीद की प्रक्रिया मेडा से कराई जाए। राज्यमंत्री का दावा है कि अब मेडा ही भूमि खरीद करेगा इसका निर्णय हो गया है।
मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) की बोर्ड बैठक में निर्णय हुआ था कि जमीन की खरीद पीडब्ल्यूडी करेगा और सड़क भी यही विभाग बनाएगा। यह भी तय हुआ था कि रिंग रोड की जमीन खरीदने के लिए 100 करोड़ रुपये मेडा देगा जबकि 62 करोड़ रुपये शासन से मिलेंगे।
रिंग रोड निर्माण के लिए 15 हेक्टेयर जमीन खरीदी जाएगी। रिंग रोड के लिए एलाइनमेंट सर्वे हो चुका है। अब जमीन खरीदनी बाकी है। ऊर्जा राज्यमंत्री ने कहा कि पीडब्ल्यूडी के पास स्टाफ की कमी है, इसलिए मेडा से भूमि खरीद की प्रक्रिया संपन्न कराई जाएगी। उन्होंने इस संबंध में कमिश्नर से चर्चा कर ली है। हालांकि कमिश्नर भानु चंद्र गोस्वामी का कहना है कि विभागीय बैठक बुलाकर समाधान निकाला जाएगा।
62 करोड़ रुपये है मुख्य अवरोध, यही टालमटोल की जड़
एक दूसरे पर भूमि खरीद की जिम्मेदारी डालने के पीछे सबसे बड़ा कारण 62 करोड़ रुपये है। अब तक भूमि की खरीद नहीं हो पाई है इसका कारण भी यही है। दरअसल, भूमि खरीद पर 162 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इसके लिए 100 करोड़ रुपये मेडा अपने कोष से देगा जबकि 62 करोड़ रुपये देने का वादा शासन ने किया था। शासन से यह धनराशि पीडब्ल्यूडी को मिलेगी। शासन से इस धनराशि पर सिर्फ वादे हुए हैं लेकिन न कार्यवृत्त आया है न ही कोई पत्र। मेडा को आशंका है कि कहीं ऐसा न हो कि 100 करोड़ रुपये खर्च कर दे और 62 करोड़ रुपये न मिलने से अटक न जाए। यही डर पीडब्ल्यूडी को भी है। |
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