मो.वारिस। (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, शामली। पाकिस्तान से हथियार तस्करी और नकली नोट का खेल 1990 में शुरू हुआ था, लेकिन आतंकियों की घुसपैठ साल 2000 से हुई थी। दरअसल, पश्चिम उत्तर प्रदेश में सबसे पहले जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर मोहम्मद वारिस इलयास राजा ने घुसपैठ की थी। आतंकी कई दिनों तक शामली के कांधला कस्बे में रहा। इसके बाद उसको हैंड ग्रेनेड और पाकिस्तानी बंदूकों के साथ मुजफ्फरनगर के जौला से साल 2000 में गिरफ्तार कर लिया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पश्चिम उत्तर प्रदेश को आतंकियों का सुरक्षित ठिकाना बनाने के लिए आइएसआइ से पहले जैश-ए-मोहम्मद ने शुरुआत की थी। जैश-ए-मोहम्मद की ओर से भेजे गए कमांडर की गिरफ्तारी के बाद आतंकी संगठन कुछ दिनों के लिए शांत हो गया था। आतंकी वारिस मुजफ्फरनगर जेल में करीब 19 साल रहा। दिसंबर 19 में वह रिहा हो गया था, लेकिन वह पाकिस्तान वापस नहीं गया। अब सुरक्षा एजेंसियों को भी नहीं पता, वह कहां है।
वह पाकिस्तान के गुजरावाला में वजीराबाद का रहने वाला था। वैध पासपोर्ट पर अपनी रिश्तेदारी के बहाने से आया था। उसके साथ ही अशफाक नन्हे को भी जेल भेजा गया था। अशफाक की मौत हो चुकी है। अब फिर से जैश-ए-मोहम्मद और आइएसआइ कमांडर इकबाल काना, दिलशाद मिर्जा और लश्कर-ए-तैयबा लगातार आतंकी तैयार कर रहे हैं।
खुफिया विभाग को वारिस के संबंध में कोई जानकारी नहीं
पाकिस्तान ने वारिस को लेने से किया था इनकार चार साल पहले इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर वारिस के बेटे गुलजार ने भारत सरकार से अपील कर पिता को वतन वापस भेजने की मांग की थी, लेकिन पाकिस्तान की ओर से उसे लेने से मना कर दिया था। हालांकि शामली पुलिस या फिर खुफिया विभाग को वारिस के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। |