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रुवि दीक्षा समारोह: 111 शोधार्थियों को उपाधि, 94 मेधावियों को स्वर्ण पदक, ब्लॉकचेन डिग्री की ऐतिहासिक शुरुआत

LHC0088 2025-11-13 19:07:58 views 571
  



जागरण संवाददाता, बरेली। रुहेलखंड विश्वविद्यालय में गुरुवार को आयोजित 23वें दीक्षा समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 111 शोधार्थियों को शोध उपाधि व 94 मेधावियों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। झारखंड के राज्यपाल और पुरा छात्र संतोष गंगवार को लाइफटाइम अचीवमेंट दिया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सबसे पहले प्रो. एसबी सिंह सभागार पहुंची, जहां उन्होंने बच्चों को पुष्टाहार वितरित किया। इसके बाद अटल सभागार परिसर में बने रोबिंग टेंट हाउस में पटका पहना। यहां से शोभायात्रा शुरू हुई, जिसमें सबसे आगे कुलसचिव हरीश चंद्र, उनके पीछे कार्यपरिषद व विद्यापरिषद के सदस्य, कुलपति प्रो. केपी सिंह व अंत में राज्यपाल रहीं।

  

कार्यक्रम की शुरुआत कुलगीत गायन से हुई। कुलपति ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियां बताई। राज्यपाल ने कंप्यूटर पर एक क्लिक कर ब्लाकचेन-सुरक्षित डिजिटल डिग्री जारी की। यह ऐतिहासिक पहल ट्रूस्कालर के तकनीकी सहयोग से शुरू की गई है। इससे डिग्री वैश्विक स्तर पर भरोसेमंद बनेगी। छात्रों, नियोक्ताओं व शैक्षणिक संस्थानों के लिए पारदर्शिता, गति और सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।  

विवि के पूर्व छात्र रहे झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया। वहीं, प्रो. एसबी सिंह सभागार, मल्टीपरपज क्रिकेट स्टेडियम, स्वर्ण जयंती द्वार व योग वाटिका को आनलाइन हरी झंडी दिखाई।
बदलते भारत की तस्वीर है छात्राओं की उपलब्धि

विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने कहा, दीक्षा समारोह विशेष अवसर होता है, यह शिक्षा का अंत नहीं होता। यह देश के प्रति जिम्मेदारी का अहसास भी कराता। देश आजादी का अमृत काल मना रहा है। यह बहुत अवसर प्रदान कर रहा है। कभी हम विदेश से तकनीक मांगते थे अब तकनीक दे रहे हैं। बेटियों की स्वर्ण पदक में भागी दारी बदलते भारत को दर्शा रही है। देश की महिला क्रिकेट टीम ने नारी सशक्तिकरण का संदेश दिया है। यह हमारे लिए प्रेरणास्रोत है।

  
कौन सी शिक्षा डाक्टर को आतंकवादी बनाती है: योगेंद्र

अति विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा, अपने माता पिता को कभी न भूलें। हमारी संस्कृति में मातृ और गुरु देव का सम्मान करने का संदेश दिया है। समारोह मंजिल को पाने की नींव का पत्थर है| कोरोना काल में चिकित्सकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों को बचाया। यह कौन सी शिक्षा है जो डाक्टर को आतंकवादी बनाती है?

यह कौन सी शिक्षा है जो जिहाद सिखाती है? मानव बनाने के लिए शिक्षा होती है, दानव बनाने के लिए नहीं, यह कौन सी शिक्षा है जो बच्चों के हाथों में कलम नहीं पत्थर देती है? वह कौन सी शिक्षा है जो बच्चों को पटरियों पर बम रखना सिखाती है। स्वामी विवेकानंद ने लोगों को शिक्षा से आगे बढ़ाना सिखाया था, लेकिन आज के समय में कुछ लोग शिक्षा का दुरुपयोग कर रहे हैं| उन्होंने वंदे मातरम के पीछे की कहानी के बारे में भी बताया।

  




यह भी पढ़ें- रुहेलखंड विश्वविद्यालय दीक्षा समारोह: 94 मेधावियों को स्वर्ण पदक, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल करेंगी सम्मानित
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