दारोगा की रांची में गोली लगने से मौत, ट्रेनिंग सेंटर के बाथरूम में मिला शव, हत्या का शक
- अफसरों ने आत्महत्या बताया, स्वजन संतुष्ट नहीं
बागपत: झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा स्थित ट्रेनिंग सेंटर में सीआरपीएफ के दारोगा रमेश कुमार की संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से मौत हो गई। विभागीय अधिकारियों ने पीड़ित स्वजन को दारोगा द्वारा आत्महत्या करना बताया, जबकि स्वजन इससे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने शक जताया कि रमेश की हत्या की गई है। उन्होंने निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई की मांग की। वहीं, हवाई जहाज से दारोगा के पार्थिव शरीर को लाने के बाद सैनिक सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई। मुजफ्फरनगर के ग्राम हरसौली के मूल निवासी ब्रह्मपाल सीआरपीएफ में हेड कांस्टेबल के पद पर गुवाहाटी में तैनात हैं। उनका परिवार पिछले करीब 20 वर्षों से गौरीपुर जवाहरनगर की इंदिरा कालोनी में रहता है। उनके मुताबिक उनके 25 वर्षीय पुत्र रमेश कुमार वर्ष 2021 में बीएसएफ में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुए थे। वर्ष 2024 में सीआरपीएफ में दारोगा के पद पर चयन होने पर रमेश ने पहली नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। पहले चरण की ट्रेनिंग ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुई और टेक्निकल ट्रेनिंग रांची के धुर्वा स्थित सेंटर पर हुई थी। गत 25 सितंबर को ट्रेनिंग पूर्ण होने के बाद पासिंग आउट परेड हुई थी। बताया गया कि 26 सितंबर की रात 2.45 बजे क्षेत्र में गश्त की ड्यूटी कर रमेश कुमार अपने साथी के साथ ट्रेनिंग सेंटर के बैरक में पहुंचे थे। 27 सितंबर की तड़के करीब चार बजे बाथरूम में एक साथी पहुंचा तो रमेश का गोली लगा शव पड़ा मिला। विभागीय अधिकारियों ने मोबाइल से काल कर रमेश कुमार द्वारा राइफल से गोली मारकर आत्महत्या करने की जानकारी दी। इसके बाद छोटा बेटा कपिल व रिश्तेदार रांची पहुंचे। पोस्टमार्टम के बाद बेटे के पार्थिव शरीर को घर लाया गया। सोमवार को उसकी सैनिक सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई। ब्रह्मपाल का कहना है कि उनके बेटे रमेश ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उसकी हत्या की गई है। उनकी मांग है कि घटना की उच्च स्तरीय जांच हो, ताकि सच्चाई उजागर हो सके। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
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उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित हुआ था
ब्रह्मपाल बताते हैं कि बेटा रमेश कुमार बहुत ही होनहार था। बीएसएफ में कांस्टेबल के पद पर भर्ती होने के बाद भी उच्च पद की नौकरी की तैयारी करता रहा। नतीजतन, वह सीआरपीएफ में दारोगा के पद पर भर्ती हो गया था। 25 सितंबर को हुई पासिंग आउट परेड में रमेश को उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया था। उस समय की वीडियो में बहुत ही खुश नजर आ रहा है।
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वीडियो काल कर की थी बातचीत
पीड़ित स्वजन ने बताया कि पासिंग आउट परेड के बाद दारोगा रमेश कुमार ने मोबाइल से वीडियो काल कर बातचीत की थी। कुछ दिनों बाद ही उसे दिल्ली आना था। रमेश को कोई परेशानी नहीं थी। रमेश अविवाहित थे।
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बलिदानी हो जाता तो गर्व होता...ये तो कलंक
भावुक होते हुए ब्रह्मपाल बोले कि रमेश बलिदानी हो जाते तो गर्व होता कि देश के लिए जान दी है। आत्महत्या करना तो कलंक है। ऐसी कोई बात ही नहीं, जिससे बेटे को आत्महत्या जैसा कदम उठना पड़े।
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परिवार में मचा कोहराम
रमेश कुमार तीन भाइयों में दूसरे नंबर के थे। बड़े भाई रेलवे में केरल में नौकरी करते हैं तथा छोटे भाई पढ़ाई कर रहे हैं। घटना से परिवार में कोहराम मचा है। पीड़ित स्वजन को सांत्वना देने वालों का घर पर तांता लगा है।
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