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Kishanganj Election 2025: किशनगंज में जातीय गोलबंदी ने बदला खेल! किसे मिला जनता का आशीर्वाद?

cy520520 2025-11-12 20:43:03 views 616

  



देवाशीष चटर्जी, बहादुरगंज (किशनगंज)। प्रखंड के सभी मतदान केंद्रों में विकास की चर्चा के बीच जातीय गोलबंदी और बदलाव की आहट के साथ लोगों ने जमकर मतदान किया। पहले मतदान फिर जलपान को मूर्त रूप देते हुए प्रखंड क्षेत्र के सभी मतदान केंद्रों में महिलाओं की संख्या सर्वाधिक रही। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बीच के समय पुरुषों एवं पहली बार मतदान करने पहुंचे थे। युवा मतदाताओं की जगह-जगह कतार लगी रही। मुस्लिम बहुल बूथों पर भी मतदाताओं की लंबी कतारें देखने को मिली। जहां मतदाताओं मे मतदान को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला।

सुबह 7:00 बजे से प्रारंभ होकर संध्या 6:00 बजे तक चलने वाली इस मतदान मे संध्या 05 बजे तक 72.54 प्रतिशत लोगों ने अपने मत का प्रयोग कर विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मैदान मे उतरे 09 प्रत्याशी का भाग्य ईवीएम मे बंद कर दिया है। शेष मतदाता भी मतदान को लेकर अपनी अपनी कतारों मे खरे रहकर मतदान की कार्य मे जुटे रहे।

जानकारी के अनुसार जहां अधिकांश बूथों पर मतदान सुबह 7:00 बजे से प्रारंभ हो गया। मदरसा पलासमनी स्थित बूथ नंबर 268 एवं प्राथमिक विद्यालय कन्या वेणी स्थित बूथ नंबर 247 मे ईवीएम मशीन मे खराबी आने के कारण मतदान लगभग एक से डेढ़ घंटा तक प्रभावित रहा। जिस कारण मतदाताओं को काफी देर तक कत कतारबद्ध होकर इंतजार करना पड़ा।

वहीं सूचना पर संबंधित सेक्टर पदाधिकारी एवं अंचल अधिकारी बहादुरगंज सहित अन्य अधिकारियों की टीम दोनों बूथ पर पहुंचकर ईवीएम मशीन को सही करवाकर मतदान को प्रारंभ करवाया। इसी दौरान प्रखंड क्षेत्र के कई मतदान केंद्रों में 90 वर्ष से ऊपर के मतदाता भी मतदान केंद्र पर अपने परिजनों के सहयोग से पहुंचकर मताधिकार का प्रयोग करते देखे गए।

सुरक्षा के मद्देनजर अधिकांश बूथों पर अर्धसैनिक बल के जवान निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर विशेष सक्रिय नजर आए।वहीँ स्काउट एवं गाइड के छात्र एवं छात्राओं के द्वारा प्रखंड के प्रमुख मतदान केंद्रों में दिव्यांग, निःशक्त एवं बुजुर्ग मतदाताओं की सहयोग करते देखे गए। वहीं युवाओ ने रोजगार एवं शिक्षा और क्षेत्र के विकास को ध्यान मे रखकर मतदान करने का कार्य किये।

बताते चले की दूसरे चरण के मतदान में हर जगह मतदाताओं में एक भावना समान रूप से दिखी, वह थी वोट बर्बाद नहीं करने की प्रवृत्ति। जहां लोग अपनी पसंद, अपने भविष्य और अपने लिए संभावना का आकलन करते हुए मतदान कर रहे थे।

वहीं, दीपावली एवं छठ में घर आए और अप्रवासी मजदूर भी इठलाते हुए मतदान केंद्रों तक पहुंचकर मतदान करते देखे गए। परिणाम स्वरूप मतदान प्रतिशत में अपेक्षित उछाल दर्ज हुआ।
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