deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Durga Puja 2025: कब है शारदीय नवरात्र की महा सप्तमी? यहां पढ़ें नवपत्रिका पूजा की विधि और महत्व

LHC0088 2025-9-28 21:05:41 views 1125

  Durga Puja 2025: मां काली को कैसे प्रसन्न करें?





दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। सनातन धर्म में नवरात्रि का अत्यंत विशेष महत्व है। यह पर्व माता दुर्गा की शक्ति, भक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के नौ दिन पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ मनाए जाते हैं, जिसमें भक्त माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। प्रत्येक दिन देवी के अलग रूप की पूजा की जाती है और उनके जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सुरक्षा की कामना की जाती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



  

नवरात्रि के सातवें दिन यानी सप्तमी तिथि पर नवपत्रिका पूजा का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से बंगाल, झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा, मणिपुर और असम जैसे राज्यों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इसे वहां नाबापत्रिका पूजा और कलाबाऊ पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
क्या होती हैं नवपत्रिका पूजा?

  



नवपत्रिका पूजा के दिन भक्त भगवान गणेश और माता दुर्गा दोनों की पूजा करते हैं और घर को पवित्र करके मां का स्वागत करते हैं। नवपत्रिका पूजा में केला, कच्ची हल्दी, अनार, अशोक, मनका, धान, बिल्व और जौ के पौधों की पत्तियों को एक साथ बांधकर उनकी पूजा की जाती है। इन नौ पौधों को देवी मां के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। पौधों को स्नान कराकर, सजाकर और फूल, दीप एवं अक्षत से पूजित किया जाता है।



यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह घर-परिवार में सुख, शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने का माध्यम भी माना जाता है। इस वर्ष नवपत्रिका पूजा का पर्व सप्तमी तिथि 29 सितंबर को मनाया जाएगा।
नवपत्रिका पूजा में उपयोग होने वाले नवपत्रों का महत्व:

  • केले का पत्र – शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक।
  • मनका पत्र – शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक।
  • हल्दी पत्र – शुभता, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक।
  • जयंती पत्र – शुभता और कामना पूरी होने का प्रतीक।
  • बेल पत्र – शांति और शक्ति का प्रतीक।
  • अनार पत्र – ज्ञान, प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक।
  • अशोक पत्र – शुद्धता, सत्य और विजय का प्रतीक।
  • धान पत्र – समृद्धि और पोषण का प्रतीक।
  • जौ पत्र – आशा, उल्लास, सौंदर्य और ऊर्जा का प्रतीक।

स्थानीय परंपरा और उत्सव का रंग

बंगाल झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा, मणिपुर और असम जैसे राज्यों में नवपत्रिका पूजा को बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। घरों और मंदिरों को सजाया जाता है, भजन-कीर्तन और आरती के माध्यम से माता दुर्गा का स्वागत किया जाता है।



स्थानीय रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा का आयोजन होता है, जिसमें नवपत्रिका को स्नान कराकर सजाया जाता है और उन्हें दीप, फूल और अक्षत अर्पित किए जाते हैं। यह पर्व न केवल भक्ति का अवसर है, बल्कि समाज और परिवार में उल्लास, एकता और सकारात्मक ऊर्जा का संदेश भी लेकर आता है।

यह भी पढ़ें- Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र में कब करें हवन? यहां पढ़ें सही नियम और मुहूर्त



यह भी पढ़ें- Swapna Shastra: शारदीय नवरात्र में देखा है मां दुर्गा से जुड़ा सपना, तो मिल सकते हैं ये शुभ संकेत

लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

310K

Threads

0

Posts

1010K

Credits

Forum Veteran

Credits
104349