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Baba Khatu Shyam: बाबा श्याम को भगवान कृष्ण ने क्यों दिया अपना नाम? जानें पौराणिक कथा

Chikheang Half hour(s) ago views 938

  

Baba Khatu Shyam: बाबा श्याम की कथा।



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। बाबा खाटू श्याम, जिन्हें हारे का सहारा कहा जाता है, वे कलियुग में भगवान श्रीकृष्ण के अवतार माने जाते हैं। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू धाम में उनका भव्य मंदिर है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि बाबा श्याम (Baba Khatu Shyam) का वास्तविक नाम बर्बरीक था और उन्हें स्वयं भगवान कृष्ण ने अपना \“श्याम\“ नाम पूजित होने का वरदान दिया था, तो आइए इसके पीछे की कथा जानते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
कौन थे बर्बरीक?

खाटू श्याम जी का संबंध महाभारत काल से है। वे पांडुपुत्र भीम के पौत्र और वीर घटोत्कच के पुत्र थे। बर्बरीक बचपन से ही बहुत बलशाली और महान योद्धा थे। उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या करके तीन अमोघ बाण प्राप्त किए थे, जिनकी शक्ति से वे एक ही पल में किसी भी सेना को नष्ट कर सकते थे।
बर्बरीक का वचन

जब महाभारत का युद्ध शुरू होने वाला था, तब बर्बरीक ने भी युद्ध में जाने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी माता को वचन दिया था कि वह हमेशा उस पक्ष का साथ देंगे जो युद्ध में हार रहा होगा। भगवान श्रीकृष्ण को जब यह बात पता चली, तो वे चिंतित हो उठे। वे जानते थे कि बर्बरीक जिस भी पक्ष में शामिल होंगे, उसकी जीत जरूर होगी और युद्ध का संतुलन बिगड़ जाएगा। जबकि धर्म की रक्षा के लिए पांडवों की जीत बेहद जरूरी थी।
शीश का दान और वरदान

तब भगवान श्रीकृष्ण ने एक ब्राह्मण का वेश धारण कर बर्बरीक को रास्ते में रोका। बातचीत के दौरान, श्रीकृष्ण ने उनसे उनकी प्रतिज्ञा (हारे हुए का साथ देने की) के बारे में पूछा। बर्बरीक ने निडरता से अपना संकल्प बताया। इसके बाद, ब्राह्मण वेश में श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से शीश का दान मांग लिया। बर्बरीक ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपने वचन का पालन करते हुए अपना शीश दान कर दिया। उनके इस महान बलिदान, त्याग और धर्मनिष्ठा से भगवान श्रीकृष्ण बहुत खुश हुए।
श्याम नाम का वरदान

बर्बरीक के बलिदान को देखकर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा कि “हे वीर बर्बरीक! तुम कलियुग में मेरे नाम \“श्याम\“ से पूजे जाओगे। जो भी दुखी, निराश और हारे हुए लोग तुम्हारी सच्ची श्रद्धा से पूजा करेंगे, तुम उनका सहारा बनोगे और उनकी मनोकामनाएं पूरी करोगे।“ बर्बरीक का शीश राजस्थान के खाटू नगर में मिला था, इसलिए वे खाटू श्याम के नाम से प्रसिद्ध हुए।

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