सिरमौर: श्रीरेणुकाजी मेले का भव्य समापन, राज्यपाल ने झील आरती की तारीफ की; युवाओं से की नशे के खिलाफ जंग की अपील

LHC0088 2025-11-5 22:37:16 views 1230
  

श्रीरेणुकाजी झील पर प्रतिदिन आरती की पहल सराहनीय: राज्यपाल (फोटो: जागरण)



जागरण संवाददाता, नाहन। जिला सिरमौर में अंतर्राष्ट्रीय श्रीरेणुकाजी मेले के समापन समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने की। राज्यपाल ने कहा कि पवित्र श्रीरेणुकाजी झील के देवघाट पर प्रतिदिन आरती का आयोजन की पहल की सराहनीय है।

यह परंपरा भावी पीढ़ियों के लिए समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करने के लिए जारी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा, “जिस श्रद्धा के साथ लोग इस पवित्र स्थान पर आते हैं, वह अत्यंत प्रेरणादायक है।

भगवान परशुराम इस अटूट आस्था पर अपनी कृपा बनाए रखें।“ उन्होंने इस नई परंपरा को शुरू करने के लिए ज़िला प्रशासन और श्रीरेणुकाजी विकास बोर्ड की प्रशंसा की और स्थानीय आश्रमवासियों से नियमित रूप से आरती करने का आग्रह किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उन्होंने लोगों से अपनी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने का आह्वान किया और राष्ट्र की रक्षा में सिरमौर के लोगों के अपार योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, “आस्था और भक्ति का संगम यह मेला देश भर के लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है।“

राज्यपाल ने श्रीरेणुकाजी की सुंदरता को बढ़ाने और इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए सरकार और समाज से सामूहिक प्रयासों की अपील की। उन्होंने लोगों, विशेषकर युवाओं से नशे से दूर रहने और एक स्वस्थ एवं नशामुक्त समाज के निर्माण में योगदान देने का आग्रह किया।  

उन्होंने कहा, “आइए हम अपने गांवों को नशे के खतरे से मुक्त और सुरक्षित रखने का संकल्प लें।“ उन्होंने कहा कि संस्कृति हमारी सबसे बड़ी विरासत है और इसका पालन और संरक्षण करके ही समाज वास्तव में समृद्ध हो सकता है।  

राज्यपाल ने श्रीरेणुकाजी को हिमाचल प्रदेश के सबसे खूबसूरत तीर्थ स्थलों में से एक बताया और कहा कि भगवान परशुराम जी और माता रेणुकाजी के मिलन की सदियों पुरानी परंपरा आज भी श्रद्धालुओं को बड़े उत्साह से आकर्षित करती है।  

राज्यपाल ने कहा कि श्रीरेणुकाजी मेला भगवान परशुराम जी की अपनी माता रेणुकाजी के प्रति भक्ति का प्रतीक है और भारतीय समाज के शाश्वत मूल्यों को कायम रखता है। इस अवसर पर राज्यपाल ने भगवान परशुराम जी और माता रेणुकाजी के मंदिरों में पूजा-अर्चना की और पारंपरिक देव विदाई जुलूस में भाग लिया।  

उन्होंने विभिन्न सरकारी विभागों, स्वयं सहायता समूहों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा लगाए गए प्रदर्शनी स्टॉलों का भी अवलोकन किया और प्रदर्शनियों में गहरी रुचि ली। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों को आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तिकरण के लिए अपने प्रयास जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस अवसर पर एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। राज्यपाल ने सर्वश्रेष्ठ विभागीय प्रदर्शनियों के लिए पुरस्कार वितरित किए। उद्योग विभाग ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया, जबकि बागवानी विभाग दूसरे और कृषि विभाग तीसरे स्थान पर रहा।
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