भाइयों पर भी 38 मुकदमे, उवैद पर सबसे ज्यादा 24 केस दर्ज
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। रामपुर का पशु तस्कर जुबैर भले ही मुठभेड़ में ढेर हो चुका है, लेकिन उसके अपराध की परतें लगातार खुल रही हैं। पुलिस की माने तो जुबैर ने पशु तस्करी का नेटवर्क नेपाल से लेकर बांग्लादेश तक फैला लिया था। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के रास्ते होकर उसका गिरोह सीमा पार तक सक्रिय था। इसी नेटवर्क के सहारे उसने करोड़ों रुपये की तस्करी की। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
परिवार को जानने वालों का कहना है कि पिछले छह माह से जुबैर को रामपुर में नहीं देखा गया। वह बाहर रहकर ही अपने कारोबार को संचालित करता था। जबकि उसका परिवार अब भी मोहल्ला घेर मर्दान खां में किराए के मकान में रह रहा है। अविवाहित जुबैर के पिता की पहले ही मौत हो चुकी थी, जिसके बाद उसने अपराध को ही अपनी पहचान बना लिया।
जुबैर अकेला नहीं था, उसके तीनों भाई भी अपराध की दुनिया में गहराई तक उतरे हुए हैं। रामपुर थाने में इनके खिलाफ कुल 30 से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज हैं। उवैद पर सबसे ज्यादा 24 मुकदमे दर्ज हैं और उसके खिलाफ पहला केस वर्ष 2014 में कोतवाली रामपुर में दर्ज हुआ था।
जैद पर छह केस दर्ज हैं और उसका नाम पहली बार वर्ष 2017 में पुलिस रिकॉर्ड में आया था। वहीं सालिब के खिलाफ आठ प्राथमिकी दर्ज हैं। इस पर पहला मुकदमा वर्ष 2020 में गंज थाने में लिखा गया। तीनों भाइयों पर हिस्ट्रीशीट खोली जा चुकी है और पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि यह सभी संगठित अपराध गिरोह के हिस्से के तौर पर काम करते हैं।east-champaran-politics,Bihar Politics, Dr Akhilesh,Bihar migration,Motihari sugar mill,Akhilesh Prasad Singh,Bihar industries closing,Bihar unemployment,Priyanka Gandhi Bihar visit,Bihar government criticism,Motihari rally,Job migration from Bihar,,Bihar news
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जुबैर के ढेर होने के बाद पुलिस ने उसके भाइयों पर नकेल कसनी शुरू कर दी है। पुराने केसों की फाइलें दोबारा खंगाली जा रही हैं। पुलिस का कहना है कि जुबैर का गिरोह अभी भी उसके भाइयों के जरिए सक्रिय है। इसलिए अब इन पर गैंगस्टर एक्ट समेत सख्त कार्रवाई की तैयारी है।
पुलिस अधिकारियों का दावा है कि जुबैर का खात्मा सिर्फ पहला कदम है। असली चुनौती उसके पूरे नेटवर्क को खत्म करना है, जिसमें उसके भाई और सीमा पार जुड़े सहयोगी शामिल हैं। जुबैर के मरने से महुआचाफी जैसी घटनाओं से आहत परिवारों ने राहत की सांस जरूर ली है, लेकिन उसके नेटवर्क के पूरी तरह ध्वस्त होने तक पुलिस की सख्ती जारी रहेगी।
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