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उबर स्कूटी राइडर पर लगा था छेड़छाड़ और लूट का आरोप, फुटेज में कोई सुबूत न मिलने पर कोर्ट ने दी बेल

deltin33 4 day(s) ago views 904

  



जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। युवती से छेड़छाड़ व लूटपाट के आरोपित स्कूटी राइडर को कड़कड़डूमा स्थित कोर्ट ने जमानत दे दी है। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी पी भार्गव राव ने आदेश में कहा कि सीसीटीवी की फुटेज में आरोपित के पास कथित चोरी किया गया बैग दिखाई नहीं दे रहा है। उससे कोई बरामदगी भी नहीं हुई है और न ही उसका कोई आपराधिक रिकाॅर्ड है। ऐसे में उसे जमानत दी जा रही है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि जमानत देना नियम है, जबकि जेल भेजना अपवाद है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उबर एप से स्कूटी बुक की

प्राथमिकी के मुताबिक, पीड़ित युवती मूलत: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की रहने वाली है। वह पूर्वी दिल्ली के न्यू अशोक नगर क्षेत्र में पीजी में रहती है और निजी बैंक में कार्यरत है। वह रानीखेत से बस से 24 अक्टूबर को तड़के करीब 3:30 बजे आनंद विहार बस अड्डे आई थी। उस समय पीजी बंद रहता है। इस कारण उन्होंने बस अड्डे से अपनी सहेली के घर खोड़ा जाने के लिए उबर एप से स्कूटी बुक की थी।
आरोप में कही छेड़छाड़ और लूट की बात

एप पर राइडर का नाम अजय दिख रहा था। राइडर ने उनसे उत्तराखंड की भाषा में पूछा कि वह रास्ता जानती हैं। पीड़िता के मना करने पर वह मैप के अनुसार चल दिया। युवती ने आरोप लगाया कि कुछ दूर चलने पर राइडर ने मैप बंद कर दिया और गलत दिशा में ले गया। सुनसान जगह पर राइडर ने उनके साथ छेड़छाड़ की और उनका फोन, बैग व नकद रुपये लेकर फरार हो गया।
...तो आरोपित स्कूटी लेकर भाग गया

आरोप के मुताबिक, उनके चीखने पर पास की झुग्गी से एक महिला और पुरुष बाहर आए तो आरोपित स्कूटी लेकर भाग गया। इस मामले में युवती की शिकायत पर पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र पुलिस थाने में आरोपित स्कूटी राइडर अजय के खिलाफ छोड़छाड़ व लूटपाट समेत कई आरोपों में प्राथमिकी पंजीकृत हुई। 25 अगस्त को आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया था।
आरोपित को सशर्त जमानत दी

इस मामले में शुक्रवार को आरोपित की अर्जी पर हुई सुनवाई में उसकी ओर से पेश वकील गौरव दलाल ने पक्ष रखते हुए कहा कि उनके मुवक्किल पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। इसका अभियोजन पक्ष ने विरोध भी किया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि सीसीटीवी फुटेज में चोरी का बैग नजर नहीं आया और न ही आरोपित के कब्जे से चोरी का सामान बरामद हुआ। इसलिए अदालत ने आरोपित को सशर्त जमानत दी।
मेडिकल जांच न कराने पर कोर्ट ने नाराज

इस मामले में आरोपित ने जांच अधिकारी व पुलिस अधिकारियों पर मारपीट करने का आरोप लगाया गया था। इस पर कोर्ट ने आरोपित को न्यायिक हिरासत में भेजने से पहले उसकी मेडिकल जांच कराने का जांच अधिकारी को मौखिक और लिखित आदेश दिया था। कोर्ट ने पाया कि आदेश के बावजूद यह जांच नहीं कराई गई। इस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की।
आदेश की प्रति डीसीपी को भेजी

इस संबंध में जांच अधिकारी उप निरीक्षक दिव्या ने थाना प्रभारी के माध्यम से यह स्पष्टीकरण दायर किया कि आरोपित की जांच को लेकर भ्रम की स्थिति थी। इस कारण एमएलसी नहीं हो सकी। कोर्ट ने जांच अधिकारी के आचरण को अनुचित बताते हुए कहा कि यदि किसी प्रकार का भ्रम था तो उन्हें स्पष्टता प्राप्त करनी चाहिए थी। कोर्ट ने आदेश की प्रति संबंधित डीसीपी को भेजने के साथ जेल अधीक्षक को आरोपित की तत्काल मेडिकल जांच कराने का आदेश दिया है।

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