पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से जुड़ेगा 15 किमी का लंबा रिंग रोड।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़। रिंग रोड की शुरुआत वाराणसी-लुंबिनी नेशनल हाइवे पर सेमरहा (रानी की सराय) गांव के पास किलोमीटर संख्या 218 से होगी। यह मार्ग बैठोली बाईपास से गुजरते हुए प्रयागराज-दोहरीघाट-गोरखपुर मार्ग पर बम्हौर के पास पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे (किमी संख्या 184) से जुड़ेगा। रिंग रोड बन जाने से शहर में घंटों लगने वाले जाम से लोगों को राहत मिलेगी। यह रिंग रोड शहर के एक छोर से दूसरे छोर को जोड़ेगा। इस रिंग रोड के बनने के बाद बड़े वाहनों को शहर में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वे सीधे रिंग रोड के जरिए अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे। यह रिंग रोड कुल 23 गांवों से होकर गुजरेगा और शहर में यातायात दबाव को कम करेगा। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) इसके लिए लगभग 94.59 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द शुरू करने वाली है।
रिंग रोड की योजना
रिंग रोड की शुरुआत वाराणसी-लुंबिनी नेशनल हाइवे पर सेमरहा (रानी की सराय) गांव के पास किलोमीटर संख्या 218 से होगी। यह मार्ग बैठोली बाईपास से गुजरते हुए प्रयागराज-दोहरीघाट-गोरखपुर मार्ग पर बम्हौर के पास पूर्वांचल एक्सप्रेसवे (किमी संख्या 184) से जुड़ेगा। शासन ने इस परियोजना को मई 2025 में मंजूरी दी थी। इसके बाद एनएचएआई ने ज्वाइंट मैनेजमेंट सर्वे पूरा किया।
इन गांवों से गुजरेगा रिंग रोड
रिंग रोड जिन 23 गांवों से होकर गुजरेगा। इसमें बिहरोजपुर, छीत्तमपुर, बैठोली, गौरडीहा आयमा, गौरड़िया खालसा, बलेनाडी, चकदुबे, शाहगढ़, दौलतपुर, सरदारपुर चक, खैरपुर जगजीवन, मोलनापुर माफी, ऊंचागांव, तमौली, जिरिकपुर, अबू सैदपुर, सरायसदी, बदरुद्दीनपुर, नीबी खुर्द, मोहब्बतपुर, महलिया और बम्हौर शामिल हैं।
क्या होंगे फायदे
रिंग रोड के निर्माण से शहर पूरी तरह जाम फ्री हो जाएगा। लखनऊ, बसखारी, अतरौलिया की दिशा से आने वाले वाहनों को अब शहर के बीच से गुजरने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह सड़क वाराणसी, जौनपुर, प्रयागराज, मऊ और गाजीपुर की ओर जाने वाले मार्गों को पर आवागमन को और आसान बनाएगी। ट्रैफिक समस्या खत्म होगी। ईंधन की बचत होगी और शहर के आस-पास के गांवों में विकास की नई संभावनाएं पैदा होंगी।
प्रस्तावित रिंग रोड निर्माण के लिए सर्वे रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी गई है। भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई के लिए भूमि अध्याप्ति कार्यालय से संबंधित गांवों के किसानों की सर्किल रेट के अनुसार रिपोर्ट मांगी गई है। जिससे उनकी भूमि का मुआवजा देने के लिए शासन से बजट की मांग की जा सके। -एसपी पाठक, परियोजना निदेशक, एनएचएआई। |