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विशेष महत्व रखती है 84 Kos Parikrama, जानिए इसकी महिमा और महत्व

cy520520 4 day(s) ago views 571

  

Braj Chaurasi kos Yatra Significance



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ब्रजमंडल वह स्थान है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने कई बाल लीलाएं की हैं। वृंदावन, मथुरा, गोकुल, नंदगांव, बरसाना, गोवर्धन सहित वें सभी स्थान 84 कोस (Braj Chaurasi kos Yatra) का हिस्सा हैं, जहां भगवान श्रीकृष्ण जी का बचपन बीता है। वेदों और पुराणों में बहुत अधिक महत्व बताया गया है। चलिए जानते हैं इसके बारे में।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यात्रा का महत्व

वराह पुराण में वर्णन मिलता है कि पृथ्वी पर लगभग 66 अरब तीर्थ हैं, जो चातुर्मास में ब्रज में आकर निवास करते हैं। इसलिए चातुर्मास में ही 84 कोस की परिक्रमा की जाती है। साथ ही यह कथा भी मिलती है कि एक बार मैया यशोदा और नंद बाबा ने चार धाम यात्रा की इच्छा प्रकट की।

तब भगवान श्रीकृष्ण ने सभी तीर्थों को ब्रज में ही बुला लिया, ताकि वह उनके दर्शन कर सकें। इस यात्रा को लेकर मान्यता है कि जो भी साधक सच्चे मन से 84 कोस की परिक्रमा करता है, उसे 84 लाख योनियों से छुटकारा मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही इस यात्रा को करने से व्यक्ति के सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

  
कब-कब की जाती है यह यात्रा

मुख्य रूप से 84 कोस की परिक्रमा अधिकमास व चातुर्मास में की जाती है। इसके साथ ही चैत्र और वैशाख के महीने में भी इस परिक्रमा का विशेष महत्व माना गया हैं। परिक्रमा यात्रा साल में एक बार चैत्र पूर्णिमा से बैसाख पूर्णिमा तक की जाती है। वहीं कुछ लोग आश्विन माह में विजया दशमी के बाद भी परिक्रमा शुरू करते हैं। शैव और वैष्णवों समाज में अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार, इस परिक्रमा का अलग-अलग समय माना गया है।

  
यात्रा से जुड़ी अन्य खास बातें

84 कोस की परिक्रमा दो तरीकों से की जा सकती है, पैदल व वाहन से। ज्यादा लोग इस परिक्रमा को पैदल करना पसंद करते हैं। इस यात्रा को पैदल पूरा करने में एक महीना या उससे अधिक समय लग सकता है। यात्रा की समाप्ति उसी स्थान पर की जाती है, जहां से इस यात्रा की शुरुआत की जाती है। इस परिक्रमा के दौरान भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़ी लगभग 1100 सरोवर व 36 वन-उपवन, पहाड़-पर्वत आदि पड़ते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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