कांग्रेस
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में कांग्रेस की आंतरिक कलह और संगठनात्मक ढिलाई ने पार्टी को नई मुसीबत में डाल दिया है। काम से कहीं ज्यादा दिखावे में माहिर कांग्रेसी नेता प्रदेश प्रभारी के राजू के आगमन पर एयरपोर्ट से लेकर दफ्तरों तक उमड़ आते हैं, लेकिन जब संगठन की अहम बैठकों की बारी आती है तो वे नदारद हो जाते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गुरुवार को नगर निकाय चुनाव के लिए गठित 49 पर्यवेक्षकों की बैठक में महज चार सदस्य ही हाजिर हुए, जिससे नाराज प्रदेश नेतृत्व ने कमेटी भंग कर दी। इसे प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश की लापरवाही के रूप में भी देखा जा रहा है। आगामी नगर निकाय चुनावों से पहले यह घटना पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित हो रही है।
झारखंड कांग्रेस में लंबे समय से एक पैटर्न चल रहा है कि प्रदेश प्रभारी या आलाकमान के प्रतिनिधि के आगमन पर नेता एयरपोर्ट पर डेरा डाल लेते हैं। फूलमालाओं, बैनरों और जोरदार स्वागत से वे अपनी वफादारी का प्रदर्शन करते हैं। लेकिन जैसे ही संगठनात्मक जिम्मेदारियां निभाने की बात आती है, वे बहाने बना लेते हैं।
प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक ऐसा यह पहली बार नहीं हुआ है। हर बार प्रभारी के आने पर तो सब एक्टिव हो जाते हैं, लेकिन जमीनी काम में रुचि कम ही दिखाते हैं।
यह उदासीनता आगामी निकाय चुनावों में पार्टी के लिए संकट का सबब बन सकती है। ताजा घटना ने पार्टी के निचले स्तर पर असंतोष बढ़ा दिया है। सक्रिय नेताओं का कहना है कि पदाधिकारी केवल कुर्सी की होड़ में लगे रहते हैं।
आलाकमान तक किचकिच की शिकायतें
पर्यवेक्षकों की नई टीम गठित करने के निर्देश के साथ ही ताजा विवाद की शिकायतें आलाकमान तक भेजने की तैयारी चल रही है। दिल्ली से जल्द ही नई पर्यवेक्षक कमेटी गठित करने का निर्देश आ सकता है। राज्य में नगर निकाय चुनाव जल्द घोषित हो सकते हैं।
लेकिन कांग्रेस की यह आंतरिक कलह गठबंधन को भी पहुंचा सकती है। एक विधायक के मुताबिक संगठन मजबूत हो तभी चुनाव जीत सकते हैं। दिखावे से कुछ नहीं होगा।
पार्टी को अब नई रणनीति बनानी होगी, जिसमें सक्रिय और युवाओं को शामिल कर संगठन को मजबूत किया जा सकता है। अगर समय रहते सुधार नहीं हुए तो आगामी चुनावों में भी बड़ा नुकसान हो सकता है। |