झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन।
राज्य ब्यूरो, रांची। घाटशिला विधानसभा उपचुनाव (Ghatshila By-Election) को लेकर रणनीतिक बढ़त हासिल करते हुए सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा में सेंधमारी की है। पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन से खाली हुई इस सीट पर 11 नवंबर को मतदान और 14 नवंबर को मतगणना होगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसी बीच, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने भाजपा को बड़ा झटका देते हुए उसके कई प्रमुख नेताओं को गुरुवार को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। पूर्वी सिंहभूम जिला परिषद उपाध्यक्ष पंकज सिन्हा सहित स्थानीय मंडल अध्यक्ष समेत कई नेता झामुमो में शामिल हो चुके हैं।
यह घटनाक्रम उपचुनाव से ठीक पहले भाजपा में अफरा-तफरी की स्थिति पैदा कर रहा है। दरअसल, भाजपा नेताओं में आक्रोश की बढ़त प्रत्याशी का चयन है। भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। यह फैसला पार्टी के पुराने नेताओं को रास नहीं आया।
स्थानीय स्तर पर भाजपा के कई वरिष्ठ नेता नाराज हैं, क्योंकि वे खुद या उनके समर्थक टिकट की दौड़ में थे। इसी असंतोष का फायदा उठाते हुए झामुमो ने इन नेताओं को लुभाया। इससे पूर्वी सिंहभूम में झामुमो की पकड़ मजबूत होने के साथ-साथ पार्टी को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिली है।
भाजपा में आंतरिक कलह चरम पर है। झामुमो के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक भाजपा से और कई नेता शामिल होने की कतार में हैं। पार्टी के समक्ष उनका आवेदन आया है। विचार करने के बाद इसपर निर्णय होगा। यह केवल शुरुआत है और उपचुनाव तक भाजपा के कई नेताओं का पलायन संभव है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट किया है - घाटशिला की जनता ने विकास और न्याय का साथ चुना है। घाटशिला झामुमो का पारंपरिक गढ़ रहा है, जहां 2019 और 2024 में रामदास सोरेन ने भाजपा को हराया था। उपचुनाव में मुख्य लड़ाई झामुमो-भाजपा के बीच है। जेएलकेएम ने भी अपना प्रत्याशी खड़ा किया है।
भाजपा कर रही भितरघात करने वालों को चिह्नित
उधर, भाजपा ने ऐसे नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी कर ली है, जो पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ भितरघात में लगे हैं। पार्टी ने इस बाबत रणनीति बनाई है और वैसे कार्यकर्ताओं-नेताओं को चिन्हित किया जा रहा है। दल छोड़ने वाले नेताओं को पार्टी निष्कासित भी कर चुकी है। फिलहाल क्षेत्र में बूथ स्तरीय रणनीति बनाई जा रही है। यह उपचुनाव झारखंड सरकार की लोकप्रियता की परीक्षा है।
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