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युवा विज्ञानियों के नवाचार की सफलता ने दिया भविष्य की मंजिल को आकार, इन-स्पेस मॉडल रॉकेट्री कैनसेट इंडिया स्टूडेंट प्रतियोगिता का हुआ समापन

Chikheang 4 day(s) ago views 604

  

तमकुहीराज के जंगली पट्टी स्थित राकेट लांचिंग परिसर में युवा विज्ञानियों से चर्चा करते (दाएं से दूसरे) अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला l जागरण



अजय कुमार शुक्ल, कुशीनगर नारायणी नदी के तट पर युवा विज्ञानियों के खिले चेहरे शोध व नवाचार की सफलता के बाद भविष्य की मंजिल को आकार देते दिखे। अवसर था तमकुहीराज के जंगलीपट्टी के समीप भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन व प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के सहयोगसेआयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय इन-स्पेसमॉडलरॉकेट्रीकैनसेट इंडिया स्टूडेंट प्रतियोगिता के समापन का।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अंतिम दिन गुरुवार को अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की उपस्थिति में पांच मॉडल रॉकेट व पांच कैनसेट का प्रक्षेपण हुआ। इन चार दिनों में नवाचारियों ने 37 रॉकेट व कैनसेट का सफल प्रक्षेपण कर नया आत्मविश्वास हासिल किया, जो अंतरिक्ष क्षेत्र में भविष्य के भारत की मजबूत की नींव रखेगा। इस दौरान देशभर से जुटे करीब 600 युवा विज्ञानियों ने मेक इन इंडिया की सोच को मूर्त रूप देने का कार्य किया।

मॉडल रॉकेट्री प्रतियोगिता में आरवीकॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग बेंगलुरु को प्रथम, पीएसआइटी कानपुर को दूसरा तो निरमा यूनिवर्सिटी आफ इंजीनियरिंग अहमदाबाद को तीसरा स्थान मिला। कैनसेट प्रतियोगिता में द्वारका दास जेसांघवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग मुंबई को प्रथम, दयानंद सागर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग बेंगलुरु को दूसरा तो पल्लवी इंजीनियरिंग कालेज हैदराबाद को तीसरा स्थान मिला।

उत्साह से लबरेज युवा विज्ञानियों ने खराब मौसम के बीच सुबह 7.40 बजे जैसे ही इन स्पेस के निदेशक डा. विनोद कुमार की देखरेख में पहले माडलराकेट का सफल प्रक्षेपण किया, तालियों की गड़गड़ाहट ने इसका उत्सव मनाया। इसके बाद मात्र सात मिनट में पांच मॉडल रॉकेट के सफल प्रक्षेपण ने युवा विज्ञानियों की दक्षता और लक्ष्य प्राप्ति की उनकी सटीकता को साबित किया। दोपहर लगभग 12 बजे जब समापन समारोह का समय आया तो पंडाल उत्साही युवा विज्ञानियों से भर गया।

इनकी प्रतिभा के कायल शोध, अनुसंधान, राजनीति के क्षेत्र से जुड़ीं हस्तियां और गणमान्य लोग मंच पर इनको पुरस्कृत करने पहुंचे तो मुख्य अतिथि इन- स्पेस के चेयरमैन डा. पवन गोयनका ने कहा कि यह प्रतियोगिता प्रधानमंत्री के उस दृष्टिकोण से प्रेरित है, जिसके तहत भारत के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए युवा प्रतिभा तैयार की जा रही है। यहां देशभर के छात्र कुशीनगर आए और ‘सीखते हुए करने’ की भावना को साकार किया।

विशिष्ट अतिथि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा कि इस प्रतियोगिता ने यह साफ कर दिया कि भारत के युवाओं में असीम संभावनाएं हैं अगर यह जिज्ञासा और मेहनत बनी रही, तो आने वाला दशक भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के स्वर्ण युग के रूप में याद किया जाएगा।
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