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डबल डेकर बस से लेकर फ्लैट तक... मुंबई में कब-कब बनाया गया लोगों को बंधक?

deltin33 4 day(s) ago views 388

  

मुंबई में बच्चों को बनाया गया बंधक।  



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीते दिन गुरुवार (30 अक्टूबर, 2015) को मुंबई में हालात उस वक्त तनावपूर्ण हो गए जब बड़ी संख्या में बच्चों को बंधक बना लिया गया। हालांकि इन 17 बच्चों को सही सलामत छुड़ा लिया गया लेकिन देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई ने ऐसा मामला पहली बार नहीं देखा। पहले भी कई बार लोगों को बंधक बनाने के मामले सामने आ चुके हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बच्चों को बंधक बनाने का मामला दोपहर करीब 1 बजकर 30 मिनट पर सामने आया जब पवई पुलिस स्टेशन को अलर्ट मिला कि रोहित आर्य नाम के एक व्यक्ति ने महावीर क्लासिक बिल्डिंग में आरए स्टूडियो के अंदर 17 बच्चों को बंधक बना लिया। 10 से 12 साल के इन बच्चों को एक वेबसीरीज के ऑडिशन के लिए बुलाया था गया था। लगभग तीन घंटे तक चले इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया और बंधक बनाने वाले रोहित आर्य की पुलिस कार्रवाई के दौरान गोली लगने से मौत हो गई।
मुंबई में पहले भी देखे गए बंधक बनाने के मामले

पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह हाल के सालों में यह अपनी तरह की पहली स्थिति थी जिसमें बड़ी संख्या में बच्चों को बंधक बनाया गया हो। लेकिन पिछले करीब एक दशक में, मुंबई में कई बार बंधक बनाए जाने के मामले देखे गए हैं। आइए डालते हैं एक नजर ऐसे मामलों पर-

मार्च 2010 में एक रिटायर्ड कस्टम अफसर हरीश मरोलिया ने अंधेरी (वेस्ट) के इलाके में एक 14 साल की लड़की को बंधक बना लिया था। 60 साल के उस आदमी ने हिमानी नाम की लड़की को अपने फ्लैट में बंदी बना लिया था और हाउसिंग सोसाइटी के सदस्यों के साथ झगड़े के बाद यह कदम उठाया था, जहां दोनों रहते थे।

लड़की को बंधक बनाने से कुछ देर पहले मारोलिया ने अपनी बिल्डिंग के एक फ्लोर पर कंस्ट्रक्शन के काम पर एतराज जताया था। उसने हवा में फायरिंग करके हाउसिंग सोसाइटी के सेक्रेटरी को भी धमकाया था। मारोलिया ने इस लड़की को मार डाला था और पुलिस कार्रवाई में वो भी मारा गया था।

इससे पहले नवंबर 2008 में बिहार के 25 साल के बंदूकधारी राहुल राज ने अंधेरी से आ रही एक डबल-डेकर बस में यात्रियों को बंधक बना लिया था। जैसे ही बस कुर्ला के बेल बाजार पहुंची, लगभग 100 पुलिसवालों ने बस को घेर लिया।

जब पुलिस ने राहुल राज को सरेंडर करने के लिए कहा तो उसने पुलिस के सामने कागज पर लिखा नोट फेंका, जिस पर लिखा था कि वह महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (एमएनएस) के अध्यक्ष राज ठाकरे को मारने आया है। हालांकि पुलिस कार्रवाई में उसकी मौत के बाद बंधकों को छुड़ाया गया।
बंधक बनाने के मामलों पर पुलिस का क्या कहना है?

नागपुर की असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर शैलनी शर्मा ने बताया, “बंधक बनाए जाने की स्थिति में सबसे जरूरी बात जान बचाना और कम से कम नुकसान पक्का करना है। बातचीत इन दो मकसद को ध्यान में रखकर की जाती है।“

शर्मा मुंबई पुलिस की पहली महिला ऑफिसर थीं जिन्हें 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के बाद होस्टेज सिचुएशन को संभालने के लिए लंदन ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था। 2022 में उन्हें नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) कमांडो को इस तरह की स्थिति से निपटने की ट्रेनिंग देने के लिए भी बुलाया गया था।

उन्होंने ने कहा, “जब बातचीत में (बंधक बनाने वाले के साथ) कोई प्रगति नहीं होती है तो ऑपरेशन टीम समय की जरूरत के हिसाब से फैसले लेती है।“ 2010 के अंधेरी बंधक कांड में शर्मा को मरोलिया से बातचीत करने के लिए बुलाया गया था, लेकिन तब तक पुलिस की एक टीम उस फ्लैट में घुस गई थी जहां उसने लड़की को बंधक बनाया था और उस पर गोली चला दी थी।

यह भी पढ़ें: \“न मैं आतंकवादी, न पैसों की मांग\“, इस पूर्व शिक्षा मंत्री से था रोहित आर्य का विवाद, ढाई घंटे में कैसे खत्म हुई कहानी?
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