करछना व फूलपुर रेंज के इलाके में रहने की आशंका। जागरण   
 
  
 
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। तेंदुआ शहर में भले ही करीब पांच दिन पहले आया हो, लेकिन प्रयागराज में पिछले साल ही कदम रख दिया था। तब से लेकर अब तक वह यहीं पर डटा हुआ है। करछना व फूलपुर रेंज में आने वाले गंगा के कछार को इसने अपना आशियाना बना रखा है। यहीं से निकल कर वह दहशत फैला रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
वैसे तो तेंदुए का प्रयागराज में कोई स्थायी प्राकृतिक आवास नहीं है, लेकिन बीते कुछ महीनों से इसकी दहशत गंगापार व यमुनापार दोनों में देखी जा रही है। पिछले साल दिसंबर में यह शंकरगढ़ में नजर आया था। इसके बाद करीब ढाई महीने पहले सरायइनायत इलाके में दिखा। तब से लेकर अब तक लगातार यह आबादी वाले इलाकों के आसपास भटक रहा है।  
 
इन दिनों छतनाग के एचआरआइ में यह खौफ का कारण बना हुआ है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह वही तेंदुआ है तो पिछले साल शंकरगढ़ में था। तब उसे पकड़ा नहीं जा सका था। संगम के आगे फूलपुर व करछना रेंज के बीच करीब 15 से 20 किलोमीटर क्षेत्र का कछार है। यह कछार गंगा की दो धाराओं के बीच में हैं।  
 
यहां जल्दी से इंसानों का दखल नहीं होता। यही कछार जंगलों से होते हुए शंकरगढ़ से मिला है। शंकरगढ़ से निकलने के बाद इस तेंदुए ने इसी कछार को अपना अड्डा बनाया। फिर यहीं पर जम गया। शिकार के लिए कोई कमी नहीं। प्यास बुझाने के लिए गंगा हैं। अब बाढ़ में यह कछार छोड़कर बाहर निकला है।  
 
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कछार में भी नाइट व्हिजन कैमरे लगाने की तैयारी  
 
छतनाग स्थित हरीशचंद्र शोध संस्थान में डेरा जमाए बैठा तेंदुआ लुका छिपी का खेल खेल रहा है। वन विभाग तमाम जतन करके भी उसे पकड़ने में नाकाम साबित हो रहा है। गुरुवार को डीएफओ अरविंद कुमार एचआरआइ पहुंचे।  
 
यहां बारीकी से निरीक्षण किया। मातहतों से तेंदुए के बारे में जानकारी ली। दो पिंजरे और चार लाइन व्हिजन कैमरे यहां पहले से लगे हैं। डीएफओ ने रेंजन लक्ष्मीकांत दुबे को दो पिंजरे व कैमरे और बढ़वाने के निर्देश दिए। कछार स्थित एसटीपी व उसके आसपास भी कैमरे लगवाने का आदेश दिया। |   
                
                                                    
                                                                
        
 
    
                                     
 
 
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