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अखिलेश दुबे की 14 दिन की न्यायिक रिमांड मंजूर, 2011 के इस मामले में दर्ज थी FIR

Chikheang 7 day(s) ago views 439

  



जागरण संवाददाता, कानपुर। होटल संचालिका प्रज्ञा त्रिवेदी के जूही थाने थाने में दर्ज डकैती-मारपीट आदि धाराओं में दर्ज मुकदमे के आरोपित अखिलेश दुबे की एसीजेएम-2 की कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक रिमांड मंजूर कर ली है। वर्ष 2011 में प्रज्ञा के दर्ज मुकदमे में पांच घंटे के भीतर एफआर लगाने के मामले में 14 साल बाद कोर्ट के आदेश पर पुनर्विवेचना हो रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दो लाख रंगदारी मांगने का आरोप

साकेत नगर निवासी प्रज्ञा के मुताबिक, वर्ष 2009 में उनका पार्टनरशिप में बारादेवी में एक होटल था, जिसमें एक दिन अधिवक्ता अखिलेश दुबे, उसके टाइपिस्ट अजय निगम समेत आरोपितों ने होटल में घुस आए और दो लाख रुपये रंगदारी मांगी। रुपये न देने पर उन्हें पीटा और रिश्तेदार से जबरन 1.20 लाख रुपये ले गए। अखिलेश दुबे, अजय निगम समेत अन्य के खिलाफ तहरीर दी। सुनवाई न होने पर कोर्ट में गुहार लगाई, लेकिन जूही पुलिस ने 2011 में अखिलेश का नाम जबरन हटवाकर अजय निगम व अज्ञात पर डकैती, मारपीट, धमकी की धारा में मुकदमा दर्ज किया।
क्या है आरोप?

आरोप है कि करीब पांच घंटे के भीतर पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगा मामले को खत्म कर दिया। उन्होंने आठ सितंबर को कोर्ट से करते हुए पुनर्विवेचना की गुहार लगाई। 22 सितंबर को अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन ईशा अग्रवाल की कोर्ट में पीड़िता का पक्ष सुना गया। पुलिस आयुक्त को निर्देश दिए कि मामले की जांच एसीपी स्तर के अधिकारी से तीन दिन के भीतर कराने व तत्कालीन विवेचक राजेश तिवारी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कराएं। इसके बाद जांच एसीपी नौबस्ता चित्रांशु गौतम को दी गई। उन्होंने पीड़िता के मजिस्ट्रेटी बयान कराए।


बयान में प्रज्ञा ने बताया कि अखिलेश दुबे, भूपेश अवस्थी, उसके बेटे रोहित अवस्थी, अजय निगम का भाई अनुज निगम और दो-तीन अज्ञात असलहे लेकर आए और लात-घूसों से पीटा था। समय पर रुपये भिजवाने की भी धमकी दी थी। मामले में आरोपितों का नाम बढ़ाने के बाद विवेचक ने कोर्ट में न्यायिक रिमांड लेने के लिए आवेदन किया। बुधवार को डीसीपी दक्षिण दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि कोर्ट ने अखिलेश की 14 दिन की न्यायिक रिमांड मंजूर कर ली है।
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बीमार बता कोर्ट आने से बचने की चर्चा
पुलिस सूत्रों के अनुसार, प्रज्ञा त्रिवेदी के प्रकरण में अखिलेश को जेल से कोर्ट में हाजिर करना था, लेकिन वह बीमारी बता जेल से बाहर नहीं निकल रहा था। काफी प्रयास के बाद उसे कोर्ट लाया गया, वहां भी वह हस्ताक्षर नहीं कर रहा था। बहुत प्रयास के बाद उसने हस्ताक्षर किए। उसकी इस हरकतों पर पुलिसकर्मी भी हैरान रहे।
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