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आतंक खिलाफ भारत करेगा घातक वार, पुरानी कार्बाइनों को हटाएगी भारतीय सेना; नए सौदे पर हुए हस्ताक्षर

cy520520 2025-10-23 10:37:46 views 638

  

सेना ने 4.25 लाख क्लोज-क्वार्टर कार्बाइन खरीद के 2,700 करोड़ के सौदे पर किए हस्ताक्षर (फाइल फोटो)



एएनआइ, नई दिल्ली। स्वदेशी राइफलों के लिए एक बड़ी सफलता के तौर पर भारतीय सेना ने 4.25 लाख क्लोज-क्वार्टर (अपेक्षाकृत छोटी एवं हल्की) कार्बाइन खरीदने के लिए 2,700 करोड़ रुपये के एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें से 2.5 लाख कार्बाइन की आपूर्ति भारत फोर्ज और शेष की अदाणी पीएलआर सिस्टम्स द्वारा की जाएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

डीआरडीओ द्वारा विकसित ये कार्बाइन उन पुरानी कार्बाइनों की जगह लेंगी, जिन्हें बहुत पहले चरणबद्ध तरीके से हटा दिया गया था।

भारतीय सेना के महानिदेशक (इन्फैंट्री) लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि ये कार्बाइन 5.56 मिमी की गोलियां दाग सकती हैं। इनके मिलने से सैन्य अभियानों में सैनिकों की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। अगले वर्ष से सेना को इनकी आपूर्ति शुरू हो जाएगी।
अनुबंध पर पिछले महीने हस्ताक्षर किए गए थे

लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने बताया कि अनुबंध पर पिछले महीने हस्ताक्षर किए गए थे। उन्होंने बताया कि अपनी पुरानी 5.56 मिमी राइफलों की जगह 7.62 मिमी अमेरिकी सिग सायर और रूसी मूल की एके-203 असाल्ट राइफलें ले रही है।
2,408 नाग मार्क-2 मिसाइलों की खरीद पर आज मुहर संभव

भारतीय सेना 2,408 नाग मार्क-2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें खरीदने जा रही है। इनके साथ 107 एनएएमआइसीए-2 ट्रैक्ड वाहन भी खरीदे जाएंगे। एनएएमआइसीए-2 वाहन के साथ नाग मार्क-2 पिछली प्रणाली का उन्नत संस्करण है। इसमें यूजर्स के सुझाव पर कई बदलाव और सुधार किए गए हैं।

रक्षा मंत्रालय 23 अक्टूबर को होने वाली रक्षा खरीद परिषद की महत्वपूर्ण बैठक में सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दे सकता है। इन मिसाइलों का निर्माण भारत डायनेमिक्स लिमिटेड करती है।
नाग मार्क-2 तीसरी पीढ़ी की मिसाइल

स्वदेश विकसित नाग मार्क-2 तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक फायर-एंड-फारगेट गाइडेड मिसाइल है। इसके मूल्यांकन परीक्षण इस वर्ष जनवरी में पोखरण फील्ड रेंज में भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में सफलतापूर्वक किए गए थे।
तीनों परीक्षणों साधा सटीक निशाना

तीनों परीक्षणों के दौरान मिसाइल प्रणालियों ने अधिकतम और न्यूनतम रेंज के सभी लक्ष्यों को सटीकता से नष्ट कर दिया। इससे उनकी मारक क्षमता प्रमाणित हुई। परीक्षणों के दौरान नाग मिसाइल कैरियर संस्करण-2 का भी मूल्यांकन किया गया। इसके बाद डीआरडीओ और उसकी उत्पादन एजेंसियों ने संपूर्ण हथियार प्रणाली को भारतीय सेना में शामिल करने के लिए तैयार किया
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