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Bihar Chunav में राजनीतिक धूर्तता का शिकार हुआ झामुमो, मंत्री सुदिव्य ने कहा- राजद और काग्रेस को भुगतना होगा खामियाजा

LHC0088 2025-10-22 01:07:36 views 654

  



राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बिहार विधानसभा चुनाव से स्वयं को अलग रखने का निर्णय किया है। नामांकन की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर समाप्त होने के बाद झामुमो के किसी भी प्रत्याशी ने नामांकन दाखिल नहीं किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार में मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता में इसकी वजह साफ की। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस पर गठबंधन धर्म का पालन नहीं करने और राजनीतिक धूर्तता का आरोप लगाया।

सुदिव्य ने कहा कि इस धोखे का खामियाजा राजद और कांग्रेस को भुगतना पड़ेगा और इसका असर बिहार और झारखंड की राजनीति पर पड़ेगा।

सुदिव्य ने राजद पर गठबंधन में झामुमो की सहभागिता सुनिश्चित नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की झामुमो की आकांक्षा को राजद ने कुचल दिया।

सात अक्टूबर को सुदिव्य कुमार और विनोद पांडेय ने राजद नेतृत्व से पटना में मुलाकात की थी, जिसमें झामुमो को गठबंधन का हिस्सा मानते हुए सीटों के समायोजन का आश्वासन दिया गया था।

लेकिन इसके बाद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सुदिव्य ने कहा कि राजद ने न केवल झामुमो, बल्कि अपने कार्यकर्ताओं के साथ भी धोखा किया। कांग्रेस पर भी उन्होंने गठबंधन धर्म की अनदेखी का आरोप लगाया।

सुदिव्य ने जोर देकर कहा कि झामुमो ने हमेशा गठबंधन धर्म का पालन किया। 2015 और 2019 के चुनावों में झामुमो ने राजद का समर्थन किया।

2019 में राजद के एकमात्र विधायक सत्यानंद भोक्ता को झामुमो ने हेमंत सोरेन की सरकार में पांच साल तक मंत्री बनाए रखा। 2024 में भी झामुमो ने राजद, कांग्रेस और माले को समायोजित किया। इसके बावजूद राजद और कांग्रेस ने झामुमो को धोखा दिया।  
गठबंधन की समीक्षा, भविष्य में कड़ा फैसला

सुदिव्य कुमार ने कहा कि झामुमो झारखंडी हितों की रक्षा के लिए गठबंधन की समीक्षा करेगा और भविष्य में कड़ा फैसला लेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि झारखंडी लोग इस धोखे को नहीं भूलेंगे और इसका प्रतिकार करेंगे।

झामुमो को आदिवासियों की मजबूत आवाज बताते हुए उन्होंने कहा कि इस आवाज को दबाने की कोशिश का खामियाजा राजद और कांग्रेस को भुगतना पड़ेगा। झामुमो ने सुझाव दिया था कि उसकी भागीदारी से बिहार में गठबंधन को फायदा हो सकता है, लेकिन राजद और कांग्रेस ने इसपर ध्यान नहीं दिया।
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